Bihar Political Kisaa: यशवंत सिन्हा को सीएम कर्पूरी ठाकुर ने राज्य का मुख्य सचिव बनाया था. इससे पहले वह कुछ समय वित्त सचिव की भूमिका में राज्य सरकार में रहे थे.
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Patna: भारतीय समाज में सरकारी नौकरशाह के लिए एक खास इज्जत व प्रतिष्ठा देखने को मिलती है. बिहार की बात करें तो यहां तो यह कुछ ज्यादा ही है. यहां छोटा किसान, बड़ा बिजनेसमैन हो या कोई और हर कोई चाहता है कि उसका बेटा लाल बत्ती वाला ऑफिसर ही बने.
आज हम बिहार के एक ऐसे ही आईएएस अधिकारी की बात करेंगे जिन्होंने तब के मुख्यमंत्री को दो टूक जवाब दिया था. इसके बाद भले ही उन्हें ट्रांसफर झेलना पड़ा हो लेकिन बाद में वह केंद्र में कद्दावर मंत्री भी बने थे. यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) बिहार कैडर के एक ऐसे काबिल आईएएस अधिकारी थे, जिनका नाम आज भी नौकरशाह से लेकर राजनेता तक इज्जत से लेते हैं.
बिहार के नालंदा में 1937 में यशवंत सिन्हा का जन्म हुआ
यशवंत सिन्हा का जन्म 1937 में नालंदा (Nalanda) जिले के अस्थावां गांव में हुआ था. उस समय बिहार से झारखंड अलग नहीं हुआ था. एक समान्य परिवार में पैदा हुए सिन्हा पहले प्रोफेसर फिर बाद में महज 24 साल की उम्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चुन लिए गए थे.
1960 में देश भर में 12 रैंक लाकर यशवंत सिन्हा बने थे IAS
यशवंत सिन्हा 1960 में आईएएस के लिए चुने गए थे. पूरे भारत में उन्हें 12वां रैंक प्राप्त हुआ था. नियुक्ति के बाद सिन्हा की आरा और पटना में पोस्टिंग हुई थी. कुछ समय तक यहां काम करने के बाद उन्हें संथाल परगना में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया गया था.
सीएम महामाया प्रसाद ने शिकायत मिलते ही लगाई सिन्हा की क्लास
इसी दौरान कुछ ऐसा हुआ कि यशवंत सिन्हा चर्चा में आ गए. दरअसल, उस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा थे.अपने एक साक्षात्कार के दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा था कि एक बार महामाया प्रसाद संथाल परगना के दौरा पर आए हुए थे. इस दौरान लोगों ने अधिकारियों के खिलाफ सीएम से शिकायत की. इसके बाद भीड़ के सामने ही मुख्यमंत्री संथाल परगना के डिप्टी कमिश्नर यशवंत सिन्हा से सवाल करने लगे.
सिंचाई मंत्री यशवंत सिन्हा पर ज्यादा ही भड़क गए
इस दौरान अपने जवाब से डिप्टी कमिश्नर सिन्हा सीएम को संतुष्ट करने की कोशिश करते रहे, लेकिन उनके साथ आए सिंचाई मंत्री जिलाधिकारी के प्रति काफी आक्रामक हो गए. इसके बाद डिप्टी कमिश्नर सिन्हा ने मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद की तरफ देख कर कहा कि सर मैं इस व्यवहार का आदी नहीं हूं.
मुख्यमंत्री ने यशवंत सिन्हा से कहा आप दूसरी नौकरी खोज लीजिए
इसके बाद मुख्यमंत्री डीसी को दूसरे कमरे में ले गए और स्थानीय एसपी और डीआईजी के सामने उनसे कहा कि आपको इस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए था. इसके बाद यशवंत सिन्हा ने कहा था कि आपके मंत्री को भी मेरे साथ इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए था. इस पर मुख्यमंत्री ने गुस्सा कर जिलाधिकारी से कहा था कि आपकी सीएम से इस तरह बात करने की हिम्मत कैसे हो गई? साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि आप दूसरी नौकरी खोज लीजिए.
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फिर यशवंत सिंह ने जो जवाब दिया उसकी वजह से वह चर्चा में आ गए
फिर क्या था इतना सुनते ही यशवंत सिन्हा ने सीएम महामाया प्रसाद को कहा, 'सर, आप एक आईएएस नहीं बन सकते हैं लेकिन मैं एक दिन मुख्यमंत्री बन सकता हूं.' हालांकि, इसके बाद उनका कई विभागों में ट्रांसफर हुआ. बाद में बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने अपने पसंद से उन्हें सरकार का मुख्य सचिव भी बनाया था. यशवंत सिन्हा जय प्रकाश नारायण से काफी प्रभावित थे. बाद में सिन्हा ने नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आने का फैसला किया.
वीपी सिंह सरकार में ठुकराया मंत्री पद बाद में बने विदेश मंत्री
यशवंत सिन्हा चंद्रशेखर के काफी करीबी थे. जब वीपी सिंह की सरकार आई तब उन्होंने चुनाव में चंद्रशेखर के साथ मिलकर समाजवादी जनता पार्टी के लिए काफी मेहनत की थी. हालांकि, वीपी सिंह ने उन्हें राज्य मंत्री का केंद्र में पद भी दिया था लेकिन उसे अपने कद के हिसाब से सही न पाकर सिन्हा ने ठुकरा दिया था. बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. 1998 में जब भाजपा की सरकार बनी तब पहले वित्त मंत्री और फिर बाद में भारत सरकार में यशवंत सिन्हा को विदेश मंत्री बनाया गया था.