पटना : नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) ने देशभर के इंजीनियरिंग, मेडिकल और लॉ समेत कई तरह के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें बिहार के कॉलेजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. आईआईटी पटना की रैंकिंग पिछले साल की तुलना में इस साल और ज्यादा खराब हो गई है. इस साल 52 फीसदी अंकों के साथ 24वें स्थान पर रहा, वहीं साल 2017 में 19वें स्थान पर था और साल 2016 में 10वें स्थान पर.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अगर एनआईटी पटना की बात की जाए, तो इसकी रैंकिंग भी बेहद खराब है. प्लेसमेंट के मामले में बढ़िया प्रदर्शन करने वाले टॉप 100 इंजीनियरिंग कॉलेजों में इसका नाम कहीं भी नहीं है. प्लेसमेंट के मामले में देशभर के इंजीनियरिंग संस्थानों में इसका स्थान 150वां रहा.


गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एनआईआरएफ हर साल पांच मापदंडों के मुताबिक संस्थानों की रैंकिंग जारी करता है, जिसमें पहला मापदंड टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्सेज है वहीं, दूसरा रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, तीसरा मापदंड ग्रेजुएशन आउटकम, चौथा आउटरिच और पांचवा परसेप्शन होता है.


पढ़ें- HRD रैंकिंग में IISc सर्वश्रेष्ठ संस्थान, JNU टॉप 10 में और मिरांडा हाउस सर्वश्रेष्ठ कॉलेज


पटना एनआईटी के सिविल इंजीनिरिंग के प्लेसमेंट में 61 छात्र शामिल हुए थे, जिनमें से 38 को कंपनियों ने ऑफर दिया, वहीं कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में 69 में से आठ छात्रों का चयन किया गया. इलेक्ट्रिकल ब्रांच से 67 में से 61 छात्रों का प्लेसमेंट हुआ, तो इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन ब्रांच के 58 में से 52 छात्रों को कंपनियों ने ऑफर किया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 80 में से 75 छात्रों को चयनित किया गया.


एनआईटी के डीन प्रकाश चंद के अनुसार, 'पिछली बार यहां से छात्रों को प्लेसमेंट में पांच लाख से लेकर 38 लाख रुपए तक का ऑफर मिला था. एडोब कंपनी ने यहां की मेघा नाम की छात्रा को 38 लाख रुपए का ऑफर दिया था.'


पढ़ें- EXCLUSIVE: अगर आपका बच्‍चा गैर-मान्‍यता प्राप्‍त मदरसा, वैदिक स्‍कूल में जाता है तो पढ़ाई मान्‍य नहीं


प्लेसमेंट सेल के इंचार्ज सम्राट मुखर्जी ने बताया कि छात्रों का अंतिम लक्ष्य प्लेसमेंट होता है और इसमें यहां के छात्र पीछे नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हो सकता है एनआईआरएफ के आंकड़े सही हो, लेकिन छात्रों का अंतिम लक्ष्य प्लेसमेंट है और एनआईटी पटना इसमें पीछे नहीं है. 


छात्रों का कहना है कि एनआईआरएफ के आंकड़े में कुछ ऐसी यूनिवर्सिटी को भी टॉप 50 में शामिल किया गया है, जहां प्लेसमेंट का प्रतिशत कम है.


एनआईटी प्रबंधन के अनुसार, शुरू में यहां पर 500 छात्र पढ़ते थे, लेकिन अब इसकी संख्या बढ़कर 3500 हो गई है. अगर रैंकिंग की बात की जाए, तो अगली बार इसमे सुधार की उम्मीद है.