Patna News: पटनावासियों के लिए बड़े गर्व का समय है. पटना में स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान ने बड़ा कार्तिमान हासिल कर लिया है. पटना जू में 93 प्रजाति के जंगली पशु-पक्षी हैं. इसकी संख्या करीब 1100 से अधिक है. गैंडों के बेहतर रखरखाव में इस चिड़ियाघर ने वह काम करके दिखाया है, जिससे अमेरिका का सैन डियागो जू भी घबरा गया है. दरअसल, बेहतर देखरेख की मदद से पटना जू में गैंडों की संख्या 5 से बढ़कर आज 13 हो गई है. देश ही नहीं विदेश में भी इतने गैंडे किसी और चिड़ियाघर में नहीं है. इस मामले में बस अमेरिका का सैन डियागो जू ही पटना चिड़ियाघर से आगे है. सैन डियागो जू में गैंडों की संख्या 15 है. अमेरिका इसलिए भी चिंतित है कि इस चिड़ियाघर में गैंडों की बड़ी तेजी से कम हुई है. यहां कभी 50 गैंडे हुआ करते थे, जबकि अब महज 15 बचे हैं.


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पटना जू की इस उपलब्धि पर बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने खुशी जताई है. उन्होंने बताया कि वन्यजीव संरक्षण के मामले में पटना जू देश के चौथे नंबर पर है. उन्होंने बताया कि पटना जू ने गैंडों के संरक्षण में अमेरिका के सेंट डियागो जू को भी पीछे छोड़ दिया है. जहां गैंडों की संख्या 50 से घटकर 15 पहुंच गई है. मंत्री ने चिड़ियाघर के गैंडा जम्बो की तारीफ भी की. मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि अमेरिका का सैन डियागो जू भी हमारे पटना के गैंडे का इतना फैन हो गया कि नर गैंडे के बदले तीन जिराफ और दो मादा गैंडे की डील कर डाली है.


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बता दें कि पटना जू में गैंडे का यह प्यार भरा सफर 1979 में शुरू हुआ था. तब असम से कांछा और कांछी नाम के दो गैंडे यहां आए थे. फिर 1982 में वाल्मीकि नगर बाघ परियोजना से एक और गैंडे की यहां एंट्री हुई, इसका नाम राजू था. 1988 में मादा गैंडा कांछी ने एक नन्ही गैंडी को जन्म दिया और यह सिलसिला चल पड़ा. राजू तो फुल ऑन पापा बन गए, और 1991 में एक और गैंडा आ गया. इसके बाद राजू और कांछी की जोड़ी चर्चित हो गई. इसके बाद 1993 में कांछा भी पिता बना और कांछी ने तीसरी बार नर बच्चे का जन्म दिया. हड़ताली नामक गैंडा पटना जू की मम्मी ऑफ द ईयर बन गई. इसने अब तक 11 गैंडों को जन्म दिया. मई 2024 में हड़ताली की मौत हो गई थी. हालांकि, उसकी विरासत यहां के गैंडों में जिंदा है.


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