पटना/रांची: Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे लोगों में सबसे बड़ी संख्या बिहार और झारखंड के लोगों की है. ऐसे में टनल से लोगों को बाहर निकाले जाने के मामले में रेस्क्यू ऑपरेशन को जैसे-जैसे तेज किया जा रहा है. वहां फंसे लोगों के परिवार वालों में आस जगी है कि जल्द ही उस हादसे के शिकार उनके परिवार के लोग उनके साथ होंगो. 


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बिहार के बांका का एक युवक विरेन्द्र किस्कू की पत्नी उत्तरकाशी पहुंच चुकी है. पत्नी ने कैमरे के जरिये टनल में फंसे पति वीरेन्द्र का फोटो देखा तो परिवार को फोन कर तसल्ली दी और बताया कि वह सुरक्षित हैं. वीरेन्द्र किस्कू को तीन बेटी और एक बेटा है. बांका के जयपुर थाना क्षेत्र के तेतरीया निवासी मजदूर वीरेंद्र किस्कू वहां पर पोकलेन चलाने का काम करता था. हादसे के बाद मजदूर सुरंग में फंस गए हैं ऐसे में उसके परिजन भी उसकी कुशलता की कामना कर रहे हैं. वीरेंद्र किस्कू उत्तरकाशी में निर्माणधिन में नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी में पोकलेन चलाने का कार्य करता था, जो आज 12 दिनों से टनल में फंसा हुआ है. 


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उत्तराखंड टनल हादसे ने राजधानी रांची के ओरामांझी स्थित खेराबेरा गांव में भी बेचैनी बढ़ाई
उत्तराखंड टनल हादसे ने राजधानी रांची के ओरामांझी स्थित खेराबेरा गांव में भी बेचैनी बढ़ा दी है. दरअसल उस टनल में राजधानी रांची के ओरामांझी थाना क्षेत्र के खिराबेरा गांव के 3 लोग भी फंसे हैं. जबकि गांव से 15 लोग उस टनल में मजदूरी के लिए गए हैं. 


दरअसल इस गांव के तीन बच्चे अनिल बेदिया, राजेंद्र बेदिया, सुखराम बेदिया फंसे हुए हैं. ऐसे में ओरमांझी थाना क्षेत्र के खीराबेरा गांव में मानो एक खामोशी पसरी है.  इस खामोशी के बीच उन परिजनों की सिसकियां सुनाई पड़ रही है जिनके बच्चे उत्तराखंड टनल के अंदर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. 


सभी परिवार वाले अपने लोगों के टनल से निकलने की जोह रहे बाट 
तकरीबन 11 -12 दिनों की बेचैनी के बाद अब उम्मीद की रौशनी जगी है. वहीं उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूर में से दो गिरिडीह के रहने वाले हैं. मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए मल्टी रेस्क्यू एजेंसी काम कर रही है और इस प्रकार यह ऑपरेशन अपने अंतिम पड़ाव पर है.