बुझो तो जानें: जिउतिया व्रत के दिन सोने के भाव बिकती है यह सब्जी, मंडी में एक ही दिन होते हैं इसके दर्शन
पटना : बिहार झारखंड में पुत्र के लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य के लिए माताएं जिउतिया नाम का व्रत करती है. उस व्रत में सतपुतिया की सब्जी खाना अनिवार्य माना जाता है.
उत्तर प्रदेश और बिहार में जिउतिया व्रत के दिन एक खास प्रकार के सब्जी की बड़ी डिमांड होती है और उस दिन यह सब्जी सोने के भाव बिकती है. इसकी खास बात यह है कि यह केवल जिउतिया व्रत के दिन ही सब्जी मंडी में दिखती है.
इस सब्जी के बीज को गन्ने और मक्के की फसल वाले खेत में मेड़ के बीच बो दिया जाता है. डंडे और रस्सी बांधकर इसकी फसल को थोड़ी उचाई दी जाती है. यह ऐसी सब्जी है जिसका अपना कोई खेत नहीं होता.
यह सहफ़सल के रूप में अन्य सब्जी या फ़सल के साथ खेत के किनारे या छप्पर या टाटी पर लटककर बड़ी होती है और हमें सब्जी देती है.
इस सब्जी की फसल खेतों की मेड़ पर फ़ैल जाती है. शाम के समय इस पर छोटे छोटे पीले फूलों की बहार आ जाती है. उस पर तितलियाँ और भौरे मंडराते रहते हैं.
यह सब्जी चार अंगुल से अधिक बड़ी नहीं होती है. बस जैसे ही तनिक हष्ट पुष्ट दिखे, तोड़ लीजिये. यह सात फल के गुच्छे में होती है. इसलिए इसको लोग सतपुतिया कहते हैं.
सतपुतिया सत और पुतिया दो शब्दों के मेल से बना है. सत अर्थात सात और पुतिया का मतलब पुत्र होता है.
उत्तर प्रदेश और बिहार में पुत्र के लम्बी आयु, उत्तम स्वास्थ्य के लिए माताएँ जिउतिया व्रत करती हैं. इस व्रत में सतपुतिया का सेवन करना अनिवार्य माना जाता है.
इसे बनाने की विधि की बात करें तो इसे सब्जी की तरह काट लीजिए और सरसों तेल, लहसुन, मिर्च का तड़का देकर धीमी आंच पर बनाइए. सतपुतिया कड़ाही में पानी अधिक छोड़ती है.
जब इसका पानी लगभग सूख जाये तब तीखा, चटपटा मिर्ची वाला नमक डालें. जब यह कड़ाही में हल्की हल्की चिपकने लगे तब समझिये यह पक गई है.
फिर गर्म-गर्म रोटी या पराठे के साथ सुबह के नाश्ते का आनंद लें और स्वस्थ रहें.