Patna: भाद्रपद के महीने के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है. इस बार पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. जो कि अगले 15 दिनों तक चलने वाला है. पितृ पक्ष का विसर्जन 25 सितंबर को किया जाएगा. इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध कराते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पिंडदान से पितरों तक पहुंचता है. जिससे उन्हें मुक्ति मिलती है. इन दिनों लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनका पिंडदान कर्म, तर्पण, और दान आदि करते हैं. जिससे उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले. हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान यमराज के द्वारा भी पितरों की आत्मा को मुक्त कर दिया जाता है. ताकि वह पृथ्वी पर अपनों के बीच रहकर खाने का आनंद ले सके. 


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7 पीढ़ियों का होता है उद्धार
लोग अपने अपने तरीके से पिंडदान करते हैं. देश के कई स्थानों पर पिंडदान किया जाता है. लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का अलग महत्व है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान करने से 108 कुलों और 7 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. 


पूर्वजों को मिलता है मोक्ष
वहीं, गरुड़ पुराण के अनुसार बिहार के गया में होने वाले पिंडदान का अलग ही महत्व बताया गया है. इसमें बताया है कि यहां पर भगवान श्री राम और माता सीता ने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. जिसके बाद से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया था. गरुड़ पुराण के अनुसार जो भी इस स्थान पर अपने पितरों का पिंडदान करता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री नारायण यहां पर पितृ देवता के रूप में विराजमान हैं. जिसके कारण गया को पितृ तीर्थ कहा जाता है. गया में पिंडदान के इस महत्व के कारण यहां पर हर साल इस लोग अपने पूर्वजों के पिंडदान के लिए आते हैं. ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो सके.


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