Pitru Paksh 2022: पितृ पक्ष में इन कामों से रहें कोसों दूर, बरतें ये सावधानियां
Pitri Paksh 2022: पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण के जरिए पितरों को संतुष्ट किया जाएगा. श्राद्ध पक्ष में पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता है. इसके साथ ही उनकी निमित्त कौए को भी भोजन कराया जाता है.
पटनाः Pitri Paksh 2022: पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण के जरिए पितरों को संतुष्ट किया जाएगा. श्राद्ध पक्ष में पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता है. इसके साथ ही उनकी निमित्त कौए को भी भोजन कराया जाता है. इसके अलावा पितृपक्ष में कई तरह सावधानियां बरतनी भी चाहिए, जानिए इस दौरान कौन से कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए.
पितृपक्ष में न करें ये काम
1. पितृ पक्ष में तामसिक भोजन से नहीं करना चाहिए. इस दौरान सात्विक और सादा भोजन ही करें. मूंग की दाल शुद्ध मानी जाती है. लहसुन प्याज और मांस, मछली, मदिरा से पूरी तरह परहेज रखें.
2. पितृ पक्ष में कभी भी द्वार पर कोई पशु या मांगने वाला आए तो उसे अन्न जल जरूर देना चाहिए. कहते हैं पितृपक्ष में पितर किसी रूप में भी आकर अन्न जल की इच्छा करते हैं. जो व्यक्ति इस समय द्वार पर आए जीवों को संतुष्ट करके विदा करते हैं पूर्वज उन पर प्रसन्न होते हैं.
3. पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का तो सम्मान करें हीं, बल्कि घर में जो जीवित वृद्ध लोग हैं, उन्हें भी हमेशा प्रसन्न रखें. इस दौरान तो उन्हें बिल्कुल भी कष्ट न दें. पूर्वज आकर देखते हैं कि उनकी सबल समर्थ संतानें किसी का कितना ख्याल रखती हैं. अगर किसी वृद्ध को कष्ट होता है तो उनके मन को कष्ट पहुंचता है और वह शाप देकर, बिना अन्न जल प्राप्त किए लौट जाते हैं जिससे जीवन में एक के बाद एक कष्ट आने लगते हैं. तरक्की रुक जाती है.
4. नियमित घर में जलाएं घूप दीप और सभी लोग प्यार से रहें. घर में कलह और अशांति का माहौल पितृपक्ष में बिल्कुल न बनने दें. ऐसे करने से पितृगण खुश होते हैं. जो लोग पितृपक्ष में पितरों को याद नहीं करते हैं और घर में अशांति बनाए रखते है उनके घर से लक्ष्मी चली जाती हैं. क्योंकि पितरों का शाप उनकी खुशियों को छीन लेता है.
5. पितृ पक्ष के दौरान जो भी भोजन करें उनमें थोड़ा सा हिस्सा निकालकर पितरों का ध्यान करें. जो ग्रास या भोजन अपने पितरों को याद करके निकाला है वह गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ को खिला दें. पितरों का ध्यान किए बिना और पितरों के निमित्त अन्न निकाले बिना अन्न खाने वाला रोगी होता है और आर्थिक परेशानियों का सामना करता है.
6. पितृ पक्ष में जो लोग पितरों को जल देते हैं उन्हें लंबी दूरी की यात्रा इस समय नहीं करनी चाहिए. जिस स्थान पर पितरों का तर्पण आरंभ किया है उसी स्थान पर पूरे पितृ पक्ष में रहकर पितरों को जल अन्न देना चाहिए. अगर आप यात्रा करते हैं तो पितरों को भी भटकना पड़ता है और उन्हें इससे कष्ट होता है. अगर आप किसी तीर्थस्थल में पितरों को जल अन्न दान करना चाहते हैं इसलिए यात्रा करना चाह रहे हैं तो पितरों से प्रार्थना करें कि और कहें कि हे पितरों मैं आपकी तृप्ति के लिए (आप जिस भी तीर्थ में जा रहे हो उसका नाम लें. जल और अन्न का दान करने जा रहा हूं इसलिए आप भी कृपा करके मेरे साथ चलें. इससे पितृ प्रसन्न होंगे और अन्न जल प्राप्त करके आशीर्वाद देंगे.
7. पितरों की पूजा करते समय जब जल हथेली से जमीन पर गिराएं तो इसे अंगूठे की और तर्जनी के बीच से गिराएं. इसे हथेली में पितृ तीर्थ कहते हैं. इससे जल पितरों को प्राप्त होता है. सामने से अंजुली से जल गिराने पर जल देवताओं को प्राप्त होता है पितरों को नहीं. इसलिए देव और पितरों की पूजा में जल देने का अलग नियम है.
8. पितरों को जल देते समय हथेली में कुश और तिल जरूरी है. बिना तिल और कुश से जल देने से पितरों को संतुष्टि नहीं होती है. और वह अतृप्त होकर नाराज होते हैं. पितरों के नाराज होने पर जीवन में अशांति और कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं.
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