पटनाः PM Modi:पीएम मोदी ने गुरुवार को राष्‍ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच के मार्ग को राजपथ से बदलकर नया नाम दिया. देश का यह सबसे प्रमुख मार्ग अब कर्तव्य पथ कहलाएगा. पीएम मोदी के इसके उद्घाटन करने के साथ यह क्षण इतिहास में दर्ज हो गया.  पीएम मोदी ने इसके साथ ही इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्‍य प्रतिमा का भी अनावरण किया. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा- कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है. ये भारत के लोकतानंत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है. यहां जब देश के लोग आएंगे तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे.


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ऐतिहासिक कार्यक्रम पर पूरे देश की दृष्टि
पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं. आज के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम पर पूरे देश की दृष्टि है. सभी देशवासी इस समय, इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं. मैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे सभी देशवासियों का हृदय से स्वागत करता हूं.


सुभाष चंद्र बोस को भुला दिया गया- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने उद्घाटन समारोह में कई महत्वपूर्ण बातें अपने संबोधन में कहीं. उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता लेकिन, दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. पीएम मोदी ने कहा कि उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया. उस वक्त उन्होंने कल्पना की थी कि लाल किले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी. इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने खुद किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला. 


ब्रिटिश काल की छाप मिटाई
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले आठ सालों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं, जिन पर नेता जी के आदर्शों और सपनों की छाप है. नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे, जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था. उन्होंने कहा कि आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है. इसके पहले भी कई सरकारी कार्यों में  ब्रिटिश काल की छाप थी, उन्होंने भारतीय बजट का उदाहरण दिया, कहा कि बजट इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है.