पटना: लोकायुक्त का पद बिहार में रिक्त हुए कई वर्ष बीत गए, लेकिन तीन सदस्यीय लोकायुक्त की बहाली यहां नहीं हो पाई है. 2023 में इसको लेकर पटना हाई कोर्ट में पीआईएल भी दायर की गई और दिसंबर 2023 तक बहाली के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात. भ्रष्टाचार मामला निपटाने को लेकर जिस संस्था का गठन किया गया था. वह आज को स्थिति में मृतप्राय हैं. 


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लोकायुक्त पैनल उम्मीदवार गोपी रमन दुबे ने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति की गई और इससे ज्यादा प्रभावी बनाने के उद्देश्य से एक सदस्यीय लोकायुक्त को बढ़ाकर तीन सदस्यीय किया गया. जिसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्य शामिल होते हैं. लेकिन विडंबना देखिए कि लोकायुक्त का पद 13 फरवरी 2022 से और दो सदस्यों का पद 17 मई 2021 से ही रिक्त है. इसको लेकर भ्रष्टाचार निवारण के मामले में लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.


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विधि विशेषज्ञ अरुण पांडेय का भी कहना है कि बिहार में लोकायुक्त की स्थिति बेहद दुखद है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2011 में एक सदस्यीय लोकायुक्त को ज्यादा प्रभावी बनाकर एक संदेश देने के उद्देश्य से इसे तीन सदस्यीय बनाया जिसमे दो सदस्य को भी शामिल किया गया उस संदेश का परिणाम आज दुर्भाग्यपूर्ण है.


वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी  का कहना है कि लोकायुक्त के पद और दो सदस्य यानी तीनो पद के साथ सचिव का पद भी रिक्त है. विपक्ष इस मुद्दे पर राज्य सरकार की मंशा को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है. एनडीए को सरकार जिसकी वजह से लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रही है. वहीं विपक्ष के निशाने और वस्तुस्थिति को लेकर विधि मंत्री नितिन नवीन गोलमोल जवाब देते हुए भ्रष्टाचार के मामले पर आरजेडी पर पलटवार तो कर रहे हैं. लेकिन लोकायुक्त की बहाली क्यों नहीं सरकार कर पा रही है. इसका कोई माकूल जवाब उनके पास नहीं है.


विधि मंत्री इतना भर ही कह पा रहे हैं कि जल्द लोकायुक्त की बहाली होगी लेकिन कब तक यह साफ नहीं है. भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त कार्यालय में आते हैं तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए उसे सूचीबद्ध कर लिया जाता है. लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं होती वजह साफ है कि जब लोकायुक्त के सभी पद खाली हैं तो सुनवाई कौन करेगा. ऐसे में यहां लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और कितनी संख्या लंबित है. इसका भी जवाब लोकायुक्त कार्यालय में देने को कोई तैयार नहीं है. ऐसे में भ्रष्टाचार निवारण को लेकर राज्य सरकार कितनी गंभीर है यह समझा जा सकता है.


इनपुट- रजनीश 


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