प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार फिर आएंगे साथ! जानिए क्या है मुलाकात के मायने
जेडीयू ने प्रशांत किशोर को 2020 में पार्टी से निकाल दिया था. उसके बाद से पीके लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. लेकिन बीते दिनों पवन वर्मा ने दोनों से मुलाकात की थी.
पटना: बिहार की राजनीति कब कौन सी करवट ले, कह नहीं सकते. प्रशांत किशोर नीतीश पर वार कर रहे थे, पीके को नीतीश नौसिखिया बता रहे थे. अब खबर है कि दोनों की मुलाकात हुई है. अब समझने वाली बात ये है कि आखिर ये क्यों हो रहा है और इसका मतलब क्या है?
हाल फिलहाल क्या हुआ है?
ये मुलाकात खास क्यों है ये समझने के लिए आपको ये समझना होगा कि हाल फिलहाल क्या हुआ है? दरअसल, प्रशांत किशोर ने हाल में ही कहा था कि नीतीश को फेविकोल का ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहिए. विपक्षी एकजुटता की नीतीश कुमार की कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकलेगा. दूसरी तरफ नीतीश ने कहा था-प्रशांत किशोर को ABC नहीं पता, वो बीजेपी की मदद करना चाहते हैं.
पीके-नीतीश की मुलाकात का मतलब क्या?
पीके की तरफ से हमलों और अब इस मुलाकात का मतलब क्या है. कहीं ये दोनों बातें आपस में जुड़ी हुई तो नहीं है. दरअसल आज जो हालात हैं उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि 2024 और 2025 में बिहार में दो ध्रुवीय मुकाबला होगा. एक तरफ होगी बीजेपी और दूसरी तरफ गठबंधन.
पीके नीतीश पर साध रहे निशाना
प्रशांत किशोर के लिए कोई तीसरा फ्रंट खोलना मुश्किल होगा. तो उन्हें इन दो ध्रुवों में से कहीं फिट होना होगा. मोहब्बत हो या अदावत, ध्यान आकर्षित करने का तरीका यही है कि कुछ ऐसा कीजिए, कुछ ऐसा कहिए कि सामने वाला नोटिस करे. तो सवाल ये है कि पीके और नीतीश की मुलाकात की बुनियाद नीतीश पर पीके के लगातार वार बने हैं?
प्रशांत किशोर लड़ेंगे चुनाव?
अभी तक प्रशांत किशोर ने 2024 या 2025 में चुनाव लड़ने का ऐलान नहीं किया है लेकिन जिस तरह से वो बिहार में कैंपेन कर रहे हैं उससे यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद वो बिहार के चुनावी समर में कूदेंगे.
PK क्या नया करने वाले?
इस नाते अभी वो विपक्ष की भूमिका में हैं. लेकिन कोरी बयानबाजियों से खास फायदा होगा, कह नहीं सकते. सवाल है कि प्रशांत किशोर बिहार के वोटर को क्या नया ऑफर कर रहे हैं. प्रशांत किशोर एक मंझे हुए चुनाव रणनीतिकार माने जाते हैं तो फिर वो ये बात जरूर जानते होंगे कि वोटर नेगेटिव राजनीति से तंग आ चुका है. उसे ये नहीं सुनना कि फलां नेता क्या नहीं कर रहा है. वो जानना चाहता है कि आप क्या कर सकते हैं. हर बात को लेकर विरोधी पार्टी पर छींटाकशी. यही इस देश में सियासत की परिपाटी रही है. तो प्रशांत किशोर नया क्या करने वाले हैं?
प्रशांत किशोर को क्या दिक्कत है?
वैसे भी जिस बात पर उनका नीतीश से अलगाव हुआ था, अब जब नीतीश वही कर रहे हैं तो प्रशांत किशोर को क्या दिक्कत है? अगर उन्हें सांप्रदायिकता के मुद्दे पर नीतीश का बीजेपी के सामने झुकना नहीं पसंद था तो अब तो नीतीश उनके ही बताए मार्ग पर चल रहे हैं.
अब नीतीश का विरोध क्यों?
ये सवाल बिहार का वोटर उनसे पूछेगा जरूर कि अब क्यों विरोध कर रहे हैं नीतीश का? लिहाजा तर्क यही कहता है कि या तो वो नीतीश से मिल जाएं और बिहार ही नहीं देश में विपक्ष को मजबूत करें या फिर कोई विकल्प पेश करें.
पवन वर्मा भी नीतीश से मिले
गौर कीजिएगा कि सांप्रदायिकता के मुद्दे पर जेडीयू से अलग होने वाले पवन वर्मा भी नीतीश से मिले हैं. तो इन दोनों मुलाकातों को आप इसी आलोक में देख सकते हैं. जब अलगाव का मुद्दा ही नहीं बचा तो अलग क्यों रहें? आगे देखिए बिहार की रानजीति और क्या नए रंग दिखाती है.
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