पटनाः Raksha Bandhan 2022: जिन भाइयों की बहनें नहीं होती हैं, राखी पर जब उनकी कलाई सूनी रह जाती है तो उन्हें बहुत दुख होता है. संसार में प्रेम और वात्स्ल्य का जितना बड़ा नाता मां और उसकी संतान का है, उससे भी कहीं अधिक महत्व का रिश्ता भाई और बहन का भी है. भाई, बड़ा हो तो बहन के लिए पिता, दोस्त, रक्षक सभी कुछ बन जाता है. बहन बड़ी हो तो वह भाई का ख्याल मां के बराबर ही रखती है. ये प्यारा रिश्ता इतना गहरा है कि देवता भी आसानी से इस रिश्ते में बंध जाते हैं. जिन त्रिदेवों को अजन्मा कहा जाता है, उनकी भी बहनें हैं.


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भगवान श्रीकृष्ण, धरती पर भगवान विष्णु के अवतार हैं. इस अवतार में उनकी 16 हजार पटरानियों की बहुत चर्चा होती है, लेकिन श्रीकृष्ण को उनकी बहनों का भी खूब प्रेम मिला है. उनकी चहेती बहन सुभद्रा हैं. उन्हें योगमाय़ा का अंश भी कहते हैं. इसी तरह माता विंध्यवासिनी भी उनकी बहन हैं. उन्होंने यशोदा मां के गर्भ से जन्म लिया था और कंस को चेतावनी देने कारागर में आई थीं. द्रौपदी को कृष्ण की सखा के तौर पर जानते हैं, लेकिन वह उनकी बहन भी थीं. द्रौपदी ने कृष्ण की कलाई से खून बहता देखकर उस पर साड़ी का किनारा फाड़ कर बांध दिया था. श्रीकृष्ण ने इसका कर्ज, द्रौपदी चीर हरण के समय चुकाया था. 


देवी पार्वती हैं भगवान विष्णु की बहन
भगवान विष्णु के देवी पार्वती के भाई हैं. देवी पार्वती ने उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया था. जब वह सती अवतार में थीं, तब भी भगवान विष्णु ने उनकी बहुत मदद की थी. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब पार्वती को बोध हुआ कि उनका जन्म महादेव के लिए हुआ है तो उन्होंने मनचाहे वर के लिए तप किया. महादेव की परीक्षा के चलते पार्वती विचलित होकर शिवलिंग नहीं बना पा रही थीं. तब विष्णु भगवान ने माता पार्वती की मदद की थी. महादेव-पार्वती की शादी में भी विष्णु जी ने भाई की भूमिका निभाई, जबकि ब्रह्माजी खुद पुरोहित की भूमिका में मौजूद थे.


महादेव की बहन हैं आसावरी देवी
भगवान शिव से एक बार पार्वती जी ने ननद की मांग की. शिवजी हंस दिए. उन्होंने माया से आसावरी देवी को प्रकट किया और उन्हें अपनी बहन बताया. आसावरी देवी कुछ मोटी, कुरूप और बड़े आकार वाली थीं. उन्होंने पार्वती देवी को काफी परेशान कर दिया. बाद में देवी आसावरी, बादल, वर्षा और नदियों की बाढ़ की देवी हैं. भारत के गांवों में देवी की बहुत मान्यता है. 


श्रीराम की भी थीं एक बहन
भगवान श्रीराम की बहन उनसे भी बड़ी थीं. उनका नाम शांता था. शांता का विवाह श्रृंग ऋषि के साथ हुआ था. ऋषि के यज्ञ और वरदान के कारण ही राजा दशरथ और उनकी तीन पत्नियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी.


सूर्यदेव की बहन छठी मैया
देवी दुर्गा का एक स्वरूप कात्यायनी देवी का है. वह ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्मी थीं और ब्रह्मा के कुल में जन्म लेने के कारण उनकी मानस पुत्री बनीं और मानसी भी कहलाईं. उनमें सूर्य के समान ही तेज है. ऋषि पुत्री के रूप में जन्म लेने के दौरान सूर्य देव ने असुरों के आक्रमण से उनकी रक्षा की थी, इसलिए वह उनकी बहन भी हैं. देवी का स्वरूप छह कृत्तिकाओं का है और इन्हें षष्ठी मैया या छठी मैया के नाम से जाना जाता है. 


शनिदेव की दो बहनें 
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनिदेव की दो बहनें और एक भाई हैं. उनका नाम यमुना और भद्रा है. शनिदेव के भाई का नाम यमराज है. यमुना को पतित पावनी माना जाता है जबकि भद्रा स्वभाव से क्रोधी हैं. शनिदेव की एक और बहन हैं देवी ताप्ती, जो भारत की पौराणिक काल की प्रमुख नदी हैं. 


गणेश और कार्तिकेय की बहन 
देवी पार्वती ने अपनी इच्छा से अशोक वृक्ष के नीचे बैठकर एक पुत्री की भी कल्पना की थी. इसलिए इनका नाम पड़ा अशोक सुंदरी. अशोक सुंदरी श्रीगणेश और कार्तिकेय की बहन हैं. उन्होंने राजा नहुष से विवाह किया था. नहुष ने शकटासुर का वध करके इंद्र पद को प्राप्त किया था. लेकिन बाद में उसे एक श्राप का भागी बनना पड़ा था.


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