Ranji Trophy: जर्जर स्टेडियम में खेला जा रहा छत्तीसगढ़ और बिहार का मैच, दर्शक दीर्घा में सुखाए जा रहे कपड़े
Ranji Trophy: मोइनुल हक स्टेडियम में साल 1991 से 1996 के बीच कई अंतरराष्ट्रीय मैच आयोजित किए गए, लेकिन उसके बाद से स्टेडियम पर क्रिकेट बोर्ड ने ध्यान नहीं दिया. स्टेडियम की स्थिति बद से बदतर हो गई. लगभग 23 वर्ष बाद बीते दिनों मुंबई और बिहार के बीच रणजी ट्रॉफी का पहला मुकाबला हुआ.
Ranji Trophy: पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में 12 जनवरी से छत्तीसगढ़ और बिहार के बीच रणजी ट्रॉफी का दूसरा मुकाबला खेला जा रहा है. पहले मुकाबले में मुंबई की टीम ने बिहार को पारी से हराया था. हालांकि, अब भी यह स्टेडियम बदहाली के आंसू रो रहा है. स्टेडियम की बदहाल स्थिति ने बिहार को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है.
मोइनुल हक स्टेडियम के जीर्णोद्धार की बात होती रही है, लेकिन जीर्णोद्धार होता नहीं है. पिछले कई वर्षों से मोइनुल हक स्टेडियम का जीर्णोद्धार कराने की बात हो रही है, लेकिन हालत यह है कि स्टेडियम के दर्शक दीर्घा में बड़े-बड़े घास साथी छोटे-छोटे पेड़ पौधे भी मौजूद हैं. सीढ़ियां जर्जर और दशक के रूप में कुत्ते भी मैच का आनंद ले रहे हैं. क्रिकेट प्रेमियों की माने तो राजनीति का शिकार बिहार का क्रिकेट और मोइनुल हक स्टेडियम हुआ है.
बता दें कि मोइनुल हक स्टेडियम में साल 1991 से 1996 के बीच कई अंतरराष्ट्रीय मैच आयोजित किए गए, लेकिन उसके बाद से स्टेडियम पर क्रिकेट बोर्ड ने ध्यान नहीं दिया. स्टेडियम की स्थिति बद से बदतर हो गई. लगभग 23 वर्ष बाद बीते दिनों मुंबई और बिहार के बीच रणजी ट्रॉफी का पहला मुकाबला हुआ. इस दौरान मोइनुल हक स्टेडियम की दुर्दशा ने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की फजीहत हुई थी.
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बिहार और मुंबई के बीच खेले गए मैच के बाद अभी भी स्टेडियम का वही हाल है. स्टेडियम का दर्शक दीर्घा पूरी तरह जंगल झाड़ में तब्दील हो गया था. दर्शक दीर्घा में बनियान और कपड़े सुखाए जा रहे हैं. मुंबई के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच की मेजबानी करने वाले पटना के मोइन-उल-हक स्टेडियम की खराब स्थिति पर भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी. इतना ही एक ही मैच में बिहार की दो टीमें मैच खेलने पहुंच गईं थी, फिर बीसीए अधिकारी का भी सिर चकारा गया था. इस विवाद पर सियासत भी खूब हुई थी.