पटनाः Ratna Jyotish: रत्न ज्योतिष का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. ज़िंदगी में अक्सर मनुष्य को ग्रहों के बुरे प्रभाव की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैदिक ज्योतिष में ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं, इनमें से एक उपाय है राशि रत्न धारण करना. रत्न को पहनने से ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है. साथ ही जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. हर राशि का अलग-अलग स्वभाव होता है, ठीक उसी प्रकार हर रत्न का भी सभी बारह राशियों पर भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार रत्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसलिए हर ग्रह के लिए अलग-अलग रत्न होता है.


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नौ ग्रहों के लिए अलग-अलग रत्न 
जन्म कुंडली के अनुसार किसी जातक की राशि उसके जन्म के समय ग्रह और नक्षत्र की स्थिति के अनुसार पड़ती है. इस कारण प्रत्येक राशि का गुण व धर्म दूसरी राशि से भिन्न होता है. ठीक इसी प्रकार प्रत्येक रत्न की ख़ास विशेषता होती है और वह दूसरे रत्न से भिन्न होता है. नौ ग्रहों के लिए अलग-अलग रत्न पहने जाते हैं. जिसमें सूर्य के लिए माणिक, चंद्रमा कि लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, गुरु के लिए पुखराज, बुध के लिए पन्ना, शनि के लिए नीलम, शुक्र के लिए हीरा, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया धारण किए जाते हैं. रत्न को सही से पहनने पर इसके लाभ चमत्कारिक होते हैं. अन्यथा इसके नकारात्मक प्रभाव भी जीवन पर पड़ते हैं.


कब बदलना चाहिए रत्न
मूंगा और मोती को छोड़कर बाकी रत्न कभी पुराने नहीं होते हैं. मोती की चमक धुंधला होने पर और मूंगा में खरोंच आने पर इन्हें बदल देना चाहिए. इसके अलावा माणिक्य, पन्ना, पुखराज, नीलम और हीरा को कभी बदला नहीं जाता. रत्न के वास्तविक लाभ पाने के लिए जातकों को रत्न विधि के अनुसार ही धारण करना चाहिए. ग्रह से संबंधित रत्न को विशेष विधि से पहना जाता है. इसके तहत जिस ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करते हैं तो उस ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप तथा पूजा पाठ आदि की जाती है.


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