Patna: बिहार में एक तरफ कोरोना का कहर जारी है. वहीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया (Social Media) पर राज्यसभा सांसद और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil kumar Modi) व लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) के बीच जुबानी जंग जारी है.


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लालू यादव (Lalu Yadav Daughter) की बेटी रोहिणी आचार्य के द्वारा पूर्व डिप्टी सीएम पर किए गए आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में सुशील मोदी की शिकायत पर रोहिणी का ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया गया था, जिसकी जानकारी  खुद सुशील मोदी ने अपने ट्विटर पर भी शेयर किया था.


करीब 17 घंटे बाद अनलॉक हुआ रोहिणी आचार्य का ट्विटर अकाउंट
करीब 17 घंटे अकाउंट लॉक रखने के बाद रोहिणी के अकाउंट को ट्विटर ने एक बार फिर से अनलॉक कर दिया गया है. अकाउंट के अनलॉक होते ही रोहिणी ने ट्वीट्स की बौछार कर दी उन्होंने कहा, 'लो मैं फिर से आ गई, बिहार की जनता की आवाज बनकर.'


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रोहिणी ने एक बार फिर से सुशील मोदी पर किया अटैक
रोहिणी आचार्य ने ट्वीट करते हुए लिखा कि लालू जी के सामाजिक न्याय को जिन्होंने जंगलराज बताया वो आज अपने दु:शासन राज को सुशासन राज बताने पर अड़े हुए हैं. रोहिणी ने ट्वीट के माध्यम से जहां एक तरफ राज्यसभा सांसद सुशील मोदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इशारों में निशाना साधा है.


पीएम नरेंद्र मोदी पर रोहिणी आचार्य ने साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावुक होने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा आंसू नहीं समाधान चाहिए, देश की जनता को इंसाफ चाहिए. आंसू और भावुकता को ढाल बनाकर, देश डूबो रहा है मरघट का मसीहा बनकर जलती चिताओं की सेज लगाने के बाद अपनी नाकामी के आंसुओं के सैलाब में झूठी संवेदना के जाल में मासूम जनता को भरमाने में लगे हैं.


‘दो बोरी चावल की खातिर, मानसिक आपा खो दिया’
इसके साथ ही रोहिणी ने सुशील मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा, नौटंकी बाज किसका परिवार है, ये जग जाहिर है दो बोरी चावल की खातिर, मानसिक आपा खो दिया एक दुकानदार बेचारे को पटना के बाजार में दांत काटी, थाने में लोट-लोट कर नागीन की भांति नाच किया. बोलो कौन?"


रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू यादव की तारीफ की
रोहिणी आचार्य ने ट्वीट के माध्यम से जहां एक तरफ राज्यसभा सांसद सुशील मोदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इशारों में निशाना साधा है. वहीं, अपने पिता आरजेडी प्रमुख लालू यादव की तारीफ भी की है और लिखा कि लालू जी ने मानसिक गुलामी से आजाद किया, जीवन जीने का सम्मानजनक अधिकार दिया. जो मानसिक गुलामी से आजाद हो जाता है, उसे आर्थिक आजादी खुद मिल जाती है.