पटनाः Rudraksha Benefits: रुद्राक्ष दो शब्दों रूद्र और अक्ष को जोड़कर बना है. जिसका मतलब है रूद्र के आंसुओं से उत्पन्न. मतलब एक ऐसी शक्तिपुंज जिसमें रूद्र की शक्तियां समाहित हो. आदिकाल से रुद्राक्ष का प्रयोग ग्रहों की शांति के लिए आध्यात्मिक लाभ के लिए और अपनी सुरक्षा के लिए किया जाता रहा है. कहा जाता है कि रुद्राक्ष 21 मुखी तक होता है. इनमें से 11 प्रकार के रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं. हालांकि हर रुद्राक्ष की अपनी एक अलग महिमा और इनका अलग देवताओं के साथ संबंध है. आज इस लेख में हम 4 रुद्राक्ष के बारे में जानेंगे.  


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पंचमुखी रुद्राक्षः- पंचमुखी रुद्राक्ष को काल्गनी रुद्र के बराबर माना जाता है. लोग इसे धारण करने के बाद शांति का अनुभव करते है. लोगों की जिंदगी को यह परेशानियों और चुनौतियों से बचाता है. यह ज्यादातर ध्यान योग और आध्यात्मिक क्रियाकलापों में इस्तेमाल होता है. भगवान कलिंगन बृहस्पति ग्रह, मीन और धनु राशि इससे संबंधित होती हैं. इसका मंत्र 'ॐ हीं नमः' है.


छह मुखी रुद्राक्ष:- इस तरह का रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का प्रतीक है. इसको हमेशा सीधे हाथ में पहनना चाहिए. यह आपकी बुद्धिमत्ता बोलने की क्षमता आत्मसम्मान और गौरव को बढ़ा देता है. भगवान कार्तिकेय शुक्र ग्रह एवं तुला और वृषभ राशि इससे संबंधित है. इसका मुख्य मंत्र 'ॐ ह्रीः हूंम नमः' है.


सात मुखी रुद्राक्ष:- इसे अनंग कहा जाता है. यह आपकी आर्थिक स्थिति को बढ़ाने सफलता और आपके व्यवसाय में प्रगति के लिए धारण किया जाता है. देवी महालक्ष्मी शनि ग्रह एवं मकर और कुंभ राशि इससे संबंधित होती हैं. इसका मुख्य मंत्र "ॐ हूँ नमः" है.


आठ मुखी रुद्राक्ष:- जो लोग बीमारी रहित जिंदगी जीना चाहते हैं और व्यवसाय में परेशानियों से और चुनौतियों से बचना चाहते हैं. वह आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करते हैं. यह भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है और राहु इससे संबंधित माना जाता है. इसका मुख्य मंत्र 'ॐ हम नमः' है.


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