Shani Dev: शनि देव का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में किया गया है. उन्हें अक्सर एक क्रूर ग्रह के रूप में देखा जाता है, जिससे लोग डरते हैं. लेकिन शनि देव को ठीक से समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि उनके बारे में कई भ्रांतियां हैं. ऋग्वेद में शनि को पाप और रोगों का नाश करने वाले देवता के रूप में वर्णित किया गया है और अथर्ववेद में उनकी प्रार्थना के लिए एक श्लोक भी मिलता है. शनि का हमारे जीवन में आने वाले सुख-दुख से गहरा संबंध है.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार शनि की चाल ज्योतिष और खगोल विज्ञान में धीमी बताई गई है, इसलिए उन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है, जिसका मतलब है धीरे चलने वाला. वर्तमान में शनि वक्री अवस्था में हैं, यानी वे उल्टी चाल चल रहे हैं और 15 नवंबर 2024 को वे मार्गी होंगे, यानी सीधी चाल चलने लगेंगे. अभी शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं और 29 मार्च 2025 को वे मीन राशि में प्रवेश करेंगे.


साथ ही शनि सत्य और न्याय के देवता माने जाते हैं. उन्हें झूठ, धोखा और दिखावा पसंद नहीं है. वे उन लोगों को आशीर्वाद देते हैं जो सत्य के मार्ग पर चलते हैं, नियमों और अनुशासन का पालन करते हैं और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं. शनि देव का आशीर्वाद उन लोगों पर विशेष रूप से होता है, जो अपने कर्मों से समाज और दूसरों का भला करते हैं. जिन नेताओं की कुंडली में शनि मजबूत होता है, वे ऊंचे पदों पर आसीन होते हैं, क्योंकि वे सही रास्ते पर चलते हुए अपने कर्तव्यों को निभाते हैं.


शनि देव को दुख का देवता नहीं माना जाता, बल्कि वे दुखों को हरने वाले हैं. वे हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में दुख का सबसे बड़ा कारण लोभ है. लालच सभी बुराइयों की जड़ है और शनि देव कर्म प्रधान हैं. वे हमें बताते हैं कि जो हम पाना चाहते हैं, उसे सही तरीके से और मेहनत से प्राप्त करना चाहिए. जो लोग गलत तरीके से सफलता हासिल करते हैं, शनि देव उन्हें समय आने पर सजा देते हैं.


शनि देव हमें कर्म की शुद्धता पर जोर देने के लिए प्रेरित करते हैं. वे आलस्य से दूर रहकर कठिन परिश्रम करने और सही कार्यों में लगे रहने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि हमें सभी के कल्याण के लिए कर्म करना चाहिए और सही और गलत में अंतर पहचानना चाहिए जो सही है, उसका हिस्सा बनें और जो गलत है, उसका त्याग करें. शनि के ये सिद्धांत जीवन में सफलता और शांति पाने के लिए महत्वपूर्ण हैं.


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