पटनाःShri Durga Saptshati:आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी. इसके साथ ही व्रत रखने वाला व्यक्ति पूजा करने के साथ-साथ रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है. माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और व्यक्ति की हर कामना पूर्ण हो जाती है.


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श्री दुर्गा सप्तशती पाठ विधान
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का अलग विधान है. कुछ अध्यायों में उच्च स्वर, कुछ में मंद और कुछ में शांत मुद्रा में बैठकर पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है. जैसे कीलक मंत्र को शांत मुद्रा में बैठकर मानसिक पाठ करना श्रेष्ठ है. देवी कवच उच्च स्वर में और श्रीअर्गला स्तोत्र का प्रारम्भ उच्च स्वर और समापन शांत मुद्रा से करना चाहिए. देवी भगवती के कुछ मंत्र यंत्र, मंत्र और तंत्र क्रिया के हैं. संपूर्ण दुर्गा सप्तशती स्वर विज्ञान का एक हिस्सा है.


वाकार विधि: प्रथम दिन एक पाठ प्रथम अध्याय, दूसरे दिन दो पाठ द्वितीय, तृतीय अध्याय, तीसरे दिन एक पाठ चतुर्थ अध्याय, चौथे दिन चार पाठ पंचम, षष्ठ, सप्तम व अष्टम अध्याय, पांचवें दिन दो अध्यायों का पाठ नवम, दशम अध्याय, छठे दिन ग्यारहवां अध्याय, सातवें दिन दो पाठ द्वादश एवं त्रयोदश अध्याय करके एक आवृति सप्तशती की होती है.


संपुट पाठ विधि: किसी विशेष प्रयोजन हेतु विशेष मंत्र से एक बार ऊपर तथा एक नीचे बांधना उदाहरण हेतु संपुट मंत्र मूलमंत्र-1, संपुट मंत्र फिर मूलमंत्र अंत में पुनः संपुट मंत्र आदि इस विधि में समय अधिक लगता है. लेकिन यह अतिफलदायी है. अच्छा यह होगा कि आप संपुट के रूप में अर्गला स्तोत्र का कोई मंत्र ले लीजिए, या कोई बीज मंत्र जैसे ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं दुर्गायै नम: ले लें या ऊं दुर्गायै नम: से भी पाठ कर सकते हैं.


सावधानी से करें श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ, ध्यान रखें ये बातें
1. नवरात्र के समय अपने घर में कलश की स्थापना करने वाला ही करे सप्तशती का पाठ
2. श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक के लिए एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछा लें. इसके बाद पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें. फिर माथे में रोली लगा कर ही पाठ का आरंभ करें.
3. पाठ को शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद रोजाना नर्वाण मंत्र 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का पाठ जरूर करें. सभी पाठ पूर्ण माना जाता है.
4. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन के साथ-साथ मन भी साफ होना चाहिए. इसलिए पाठ करने से पहले स्नान आदि  करके साफ वस्त्र धारण कर लें.
5. दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले शापोद्धार करना सबसे जरूरी माना जाता है. अगर इसके बिना आप पाठ करते हैं, तो उसका फल नहीं मिलता है. क्योंकि इसके हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है.
6. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें. इसके साथ ही तेज आवाज में पाठ न करें. अगर संस्कृत में कठिन लग रहा है, तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं.
7. दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र के अलावा कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.