Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर क्यों किया जाता है दही-हांडी उत्सव का आयोजन, जानें क्या है इसका महत्व
Janmashtami 2022: दही हांडी पर्व को मनाने के लिए मिट्टी के घड़े में दही या माखन भरकर उसे रस्सी के सहारे लटका दिया जाता है. इस उत्सव में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को गोविंदा कहा जाता है.
पटना: Krishna Janmashtami: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी के दूसरे दिन पूरे देश में दही हांडी उत्सव का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता है. दही हांडी के उत्सव को भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का अहम हिस्सा माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी के असवर पर दही हंडी का पर्व क्यों मनाया जाता है और पर्व में क्या महत्व है.
कृष्ण लीलाओं का चित्रण
दही हांडी पर्व को मनाने के लिए मिट्टी के घड़े में दही या माखन भरकर उसे रस्सी के सहारे लटका दिया जाता है. इस उत्सव में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को गोविंदा कहा जाता है. गोविंदाओं की टोली के साथ पिरामिंड बनाकर रस्सी के सहारे लटके दही और माखन से भरे हुई मटकी को तोड़ने का प्रयास करते हैं. दही हांडी का उत्सव भगवान कृष्ण की आराधना का एक हिस्सा है. इसके माध्यम से भगवान कृष्ण के द्वारा बाल अवस्था में की गई लीलाओं और शरारतों का चित्रण किया जाता है.
दही हांडी का महत्व क्या है?
मान्यताओं के अनुसार दही हांडी का पर्व मनाने से घर में और इलाके में समृद्धि और खुशहाली आती है और लोगों पर भगवान कृष्ण की कृपा दृष्टि बनी रहती है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण जिस प्रकार अपने बचपन में गोकुल में पडोसियों के घरों से दही की हांडी, दूध और माखन की हांडी को तोड़ते थे तो उन घरों मे सुख और समृद्धि बनी रहती थी. जिसके बाद से ही दही हांडी पर्व का आयोजन भगवान कृष्ण की आराधना के रूप में किया जाता है.
ये भी पढ़ें- Krishna Janmashtami 2022: कब रखा जाएगा जन्माष्टमी व्रत, यहां जानें सही डेट, लड्डू गोपाल को इन चीजों का लगाएं भोग
ऐसे मनाते हैं दही हांडी का उत्सव
दही हांडी का उत्सव मनाने के लिए गोविंदाओं की टोली बनाई जाती है. गोविंदाओं की कई टोली होती और सभी पिरामिड बनाकर दूध दही से भरी हुई मटके को एक एक कर तोड़ने का प्रयास करते हैं.