पटना : बेगूसराय बहुचर्चित परना मुखिया वीरेंद्र शर्मा हत्याकांड में पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई है. केस के अनुसंधानकर्ता ने समय पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं किया. इस वजह से सीजेएम ने रणधीर महतो को जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया. उल्लेखनीय है कि इसी साल 2 फरवरी को मुफस्सिल थाना के सॉख -तरैया के समीप बाइक सवार बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर दिया था. 


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बता दें कि वीरेंद्र कुमार शर्मा की हत्या चुनावी रंजिश में की थी. इस हत्याकांड में परना पंचायत के पूर्व मुखिया मो महफूज समेत कई बदमाश को नामजद किया गया था. पुलिस अनुसंधान में खुलासा हुआ था कि नागदह निवासी कुख्यात रणधीर महतो ने नई दिल्ली में शूटर बुगगी ठाकुर और महफूज के बीच सौदा करवाया था. 3 महीना पहले जब पुलिस रणधीर महतो की संपत्ति को कुर्क और जप्त करने के लिए नागदह पहुंची तब उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था‌.


वहीं एसपी योगेन्द्र कुमार ने करा रुख अपनाते हुए केस के अनुसंधानकर्ता संजीत पासवान को सस्पेंड कर दिया है. एसपी ने बताया कि इस मामले में घोर लापरवाही बरतने के कारण आईओ संजीत पासवान को सस्पेंड करते हुए जल्द ही विभागीय कार्रवाई कराकर सेवा से बर्खास्त किया जाएगा. आईओ संजीत पासवान फिलहाल परिहार ओपी के प्रभारी हैं. एसपी ने कहा कि 2 महीना के अंदर दरोगा संजीत पासवान को बर्खास्त किया जाएगा बाकी भविष्य में कोई भी आईओ इस प्रकार की गलती दोहराने का काम नहीं करें. 


उधर स्टैंडिंग काउंसिल सह भाजपा नेता अमरेंद्र कुमार अमर ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 167(2) के अनुसार कोर्ट में 90 दिन के भीतर आरोपी पर चार्जशीट नहीं दाखिल करने पर जेल में बंद आरोपी को जमानत मिल जाने का प्रावधान है. इस बहुचर्चित हत्याकांड में केस के अनुसंधानकर्ता ने 90 दिन के अंदर आरोप पत्र समर्पित नहीं किया. जिसका लाभ अभियुक्त को मिला है.


इनपुट- जितेंद्र चौधरी


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