Patna: राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद उनके राजनीतिक विरासत को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. शहाबुद्दीन ने लंबे समय तक बिहार की राजनीति में अहम भूमिका अदा की और राजद की सरकार के समय में तो वह प्रदेश के पावरफूल नेता के तौर पर जाने जाते थे. 
 
अब शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके द्वारा किया गया आतंक इतिहास बन गया है. सीवान की राजनीति में शहाबुद्दीन के आतंक के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाला एकलौता नाम ओमप्रकाश यादव का था. कथित तौर पर शहाबुद्दीन द्वारा किए गए मारपीट के बाद ओम प्रकाश यादव ने बाहुबली से बगावत कर दी थी. 
 
इसके बाद अपनी पत्नी की मांग से सिंदूर पोछ कर ओमप्रकाश यादव ने कसम खाई थी कि जबतक वह सीवान से शहाबुद्दीन के आतंक को समाप्त नहीं कर देंगे, तब तक उनकी पत्नी सिंदूर नहीं करेगी. बाद में ओमप्रकाश यादव ने शबहाबुद्दीन को लोकसभा चुनाव में हराया और 10 साल तक संसद में उस सीट का प्रतिनिधत्व भी किया.
 
बात साल 2001 की है, जब सीवान व बिहार में शहाबुद्दीन का आतंक चरम पर था. करीब 35 साल बाद बिहार में पंचायत चुनाव इस समय में हो रहा था. पंचायती चुनाव को लेकर ओमप्रकाश यादव व शहाबुद्दीन का आमना-सामना हो गया था. दरअसल, जिला परिषद पद पर शहाबुद्दीन के एक शार्प शूटर के खिलाफ ओम प्रकाश यादव मैदान में थे. इस चुनाव में शहाबुद्दीन के आदमी ने कथित तौर पर ओमप्रकाश यादव के एक मित्र को गोली भी मार दी थी.  
 
यहीं से दोनों नेताओं के बीच विवाद बढ़ा था. हालांकि, इस चुनाव में ओम प्रकाश यादव को जीत प्राप्त हुई थी. इसके बाद चेयरमैन पद के लिए हो रहे चुनाव को लेकर एक बाद फिर से शहाबुद्दीन ने ओमप्रकाश यादव को धमकी दी. लेकिन तमाम धमकी को नजरअंदाज कर ओम प्रकाश यादव चुनाव लड़े. इस चुनाव में ओमप्रकाश यादव की हार हुई. 


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इसके बाद सरकारी दफ्तर में ओमप्रकाश यादव के साथ कथित तौर पर शहाबुद्दीन ने मारपीट की थी. इसके बाद घर लौटकर ओमप्रकाश यादव ने अपनी पत्नी को सिंदूर लगाने से मना कर दिया और कहा कि जब तक सीवान में शहाबुद्दीन के किला को ध्वस्त नहीं कर देते तब तक सिंदूर नहीं लगाना है.
 
इसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव में सीवान से ओमप्रकाश यादव जदयू उम्मीदवार के तौर पर मैदान पर उतरे. इस चुनाव में शहाबुद्दीन से ओम प्रकाश यादव को हार मिली थी. हालांकि, बाद में ओम प्रकाश यादव सीवान से लगातार दो बार ( 2009, 2014 ) सांसद रहे. दोनों ही बार उन्होंने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को हराया था.