जमुई : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके विभाग के पदक पदाधिकारी केके पाठक के द्वारा लाख कोशिश के बावजूद जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी उनके ही नियम पर पलीता लगा रहे हैं,कल यानी बीते सोमवार को गिद्धौर प्रखंड के नयागांव विद्यालय में बच्चों के भोजन में कीड़ा निकला जिसको देख बच्चों ने बवाल काटा और खाना खाने से मना कर दिया.  वहीं पिछले दिनों कीड़ा युक्त चावल खाकर तीन बच्चे बीमार भी हो गए थे.


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मंगलवार को जमुई जिले के झाझा प्रखंड के कलयुगहा मध्य विद्यालय में मंगलवार को मध्याह्न भोजन में तंबाकू का रेपर निकलने की घटना सामने आई है. भोजन में रेपर देखते ही बच्चों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे की शिकायत पर शिक्षकों ने जब भोजन की जांच की तो शिकायत सही निकली. उत्क्रमित मध्य विद्यालय कलयुगहा स्कूल के मध्यान्ह भोजन में मंगलवार को तंबाकू का रेपर निकला. भोजन में तंबाकू देख बच्चे दहशत में आ गए. वहीं खाना खाने से साफ इंकार कर दिया. इस स्कूल में 190 बच्चे नामांकित हैं. वही आज 119 बच्चे स्कूल में उपस्थित थे.


स्कूल में 119 बच्चे का भोजन स्कूल पहुंचा. पहले शिक्षक ने मध्यान्ह भोजन का जायजा लिया और बच्चो को मिड डे मील देने की तैयारी की गई. इस दौरान भोजन में तंबाकू का रेपर निकला. शिक्षक ने तत्काल इसकी जानकारी स्कूल के हेडमास्टर गोपाल कुमार महतो दो दिया. उन्होंने भोजन बच्चों को देने से मना कराया और इसकी जानकारी मिड डे मिल के सप्लायर को दिया. हेड मास्टर ने बताया कि कुछ शिकायत करने के बाद भी सप्लायर नहीं पहुंचा है. हेडमास्टर गोपाल कुमार ने बताया कि 119 बच्चो का खाना आया था. खाने की जांच की गई तो उसमें तंबाकू का रेपर पाया गया. जिसके कारण बच्चों को खाना नहीं दिया गया और इसकी शिकायत अधिकारियों को दी गई. स्कूल के सचिव नंदकिशोर मंडल ने बताया कि जब से बाहर से खाना आने लगा है यह समस्या बरकरार है.


इधर बच्चों के मिड डे मील में तंबाकू का रेपर मिलने पर बच्चों ने जमकर हंगामा किया. वहीं जमुई जिले के शिक्षा विभाग के स्थापना डीपीओ सह एमडीएम प्रभारी शिवकुमार शर्मा के द्वारा तथ्य हीन सवाल का जवाब देते हुए कहा कि एमडीएम के का भोजन एनजीओ के द्वारा दिया जाता है और सभी जगह दिया जाता है. इसमें कहीं से कोई शिकायत नहीं है अगर इसमें गुटके के तंबाकू का रेपर मिला है तो कोई षड्यंत्र है. आखिर बच्चे के भोजन में तंबाकू के पीछे षड्यंत्र क्या हो सकता है. यहां तक की स्कूल का नाम भी डीपीओ महोदय को पता नहीं था. सही से स्कूल का नाम भी नहीं ले पा रहे थे. वही मीडिया से बात करने से लगातार कतराते रहे. अब देखना यह होगा कि खबर के बाद शिक्षा विभाग ऐसे पदाधिकारी और स्कूल संचालक और एमडीएम प्रभारी पर क्या कुछ कार्यवाही करती है.


इनपुट- अभिषेक निराला


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