सोनपुर: बिहार की राजधानी पटना से महज 20 किलोमीटर दूर सोनपुर में विश्व प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला शुरू है. सोनपुर में लगने वाला यह मेला सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि एशिया सबसे बड़ा पशु मेला है. एक समय था जब ऐसा कहा जाता था कि इस मेले में सुई से लेकर हाथी तक आपको बिकता दिख जाता था.


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मोक्षदायिनी गंगा और नारायणी (गंडक) नदी के संगम और बिहार के सारण और वैशाली जिले के सीमा पर लगने वाले सोनपुर क्षेत्र का ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व है. वहीं सोनपुर मेला का इतिहास भी काफी पुराना है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने से शुरू होने वाला ये मेला एक महीने तक चलता है. प्राचीनकाल से लगनेवाले इस पशु मेले का स्वरूप भले ही कुछ बदला हो, लेकिन इसकी महत्ता आज भी बरकरार है. यही कारण है कि हर साल लाखों देशी और विदेशी पर्यटक यहां घूमने आते हैं.


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हरिहर क्षेत्र मेला को 'छत्तर मेला' के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं की अगर मानें तो यह स्थल 'गजेंद्र मोक्ष स्थल' के रूप में भी चर्चित है. मान्यता है कि भगवान के दो भक्त हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए. कोनहारा घाट पर जब हाथी पानी पीने आया तो उसे मगरमच्छ ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध शुरू हो गया. कई दिनों तक दोनों के बीच युद्ध चलता रहा. इस बीच हाथी जब कमजोर पड़ने लगा तो भगवान विष्णु से उसने प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने तब कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को खत्म कराया. इसी स्थान पर दो जानवरों का युद्ध होने के कारण इसे पशु की खरीददारी के लिए शुभ माना जाता है. इसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का मंदिर भी है जहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि भगवान राम ने इस मंदिर का निर्माण सीता स्वयंवर में जाते समय किया था.


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