पटना: राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने अयोध्या में 22 जनवरी को आयोजित प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में सम्मिलित होने का आमंत्रण मिलने पर राम जन्मभूमि मंदिर तीर्थ क्षेत्र को धन्यवाद दिया और 6 दिसंबर 1992 की घटना को याद करते हुए कहा कि जन्मभूमि पर बने विवादित ढांचे को गिराना पूर्व-नियोजित‌ नहीं‌ था.


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सुशील कुमार मोदी  को 1992 के राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय योगदान करने के नाते आमंत्रित किया गया है. वे दिल्ली होते हुए अयोध्या पहुंचेंगे.‌ उन्होंने कहा कि मैं भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री हरेंद्र पांडेय के साथ 30 नवम्बर 1992 को ही अयोध्या पहुंच गया था. हम दोनों को विवादित ढांचे के ठीक सामने रामकथा कुंज‌ में बने मंच से कारसेवकों को नियंत्रित करने का दायित्व दिया गया था.


सुशील कुमार मोदी  ने कहा कि 6 दिसंबर को कारसेवकों की अपार‌ भीड़ उमड़ रही थी. अचानक दिन के लगभग 10 बजे सैंकड़ों अति उत्साही कार सेवक हमारी बारम्बार की अपील की अनसुनी कर कंटीले तार का बाड़ा तोड़ कर प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश कर गए और विवादित ढांचे पर चढ़ने लगे.


उन्होंने कहा कि उसी मंच से विहिप के अध्यक्ष अशोक सिंघल, लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती सहित कई नेताओं ने कारसेवकों से शांत रहने और प्रतिबंधित क्षेत्र से लौटने की अपील की, लेकिन सारे प्रयास विफल रहे.


सुशील कुमार मोदी  ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के‌ दौरान बिहार में लालू सरकार ने आडवाणी जी की गिरफ्तारी और यूपी की मुलायम सरकार ने कारसेवकों पर कारसेवकों पर गोली चलवा कर जो गलती की, उसे याद करना अत्यंत दुखद है. उन्होंने कहा कि ‌सारे संकट-अवरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करते हुए अयोध्या में राम मंदिर बनते देखना एक ऐतिहासिक अवसर है. 22 जनवरी को करोड़ों रामभक्तों का सपना पूरा हो रहा है.