क्या कामसूत्र और योग में कोई संबंध है, इन आसन से आप पहुंच जाएंगे चरमानंद के शिखर पर
बहुत से जानकारों का मानना है कि योग और काम यानी सेक्स में कोई संबंध नहीं है, लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि इन दोनों में संबंध है. इसके पक्ष में तर्क देते हुए जानकार कहते हैं कि योग से यौन कमजोरी को दूर करने में मदद मिलती है. ऐसे विद्वानों का मानना है कि निरंतर योग करने से सेक्स स्टेमिना बढ़ जाता है.
आप योग के आसन करते होंगे और कामसूत्र की कई मुद्राएं भी देखी होंगी. कई बार ये आसन और मुद्राएं एक सी लगती हैं. आम तौर पर धारणा होती है कि रति क्रिया के कई आसन होते हैं और फिर लोग योग और कामसूत्र के बीच कोई संबंध का मतलब निकालने लगते हैं. वैसे तो योग महर्षि पतंजलि की देन है. महर्षि पतंजलि 195-142 ईसा पूर्व में पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल में थे और आज योग हमारे जीवन में रच-बस गया है तो यह उन्हीं की देन है. वहीं कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित कामशास्त्र की देन है. कामशास्त्र दुनिया की पहली यौन संहिता है, जिसमें प्रेम संबंध के मनोशारीरिक सि़द्धांतों की व्याख्या की गई है. माना जाता है कि अर्थ जगत में जो स्थान कौटिल्य यानी चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र का है, काम के क्षेत्र में वहीं स्थान कामसूत्र का और योग के क्षेत्र में पतंजलि की रचना का है.
बहुत से जानकारों का मानना है कि योग और काम यानी सेक्स में कोई संबंध नहीं है, लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि इन दोनों में संबंध है. इसके पक्ष में तर्क देते हुए जानकार कहते हैं कि योग से यौन कमजोरी को दूर करने में मदद मिलती है. ऐसे विद्वानों का मानना है कि निरंतर योग करने से सेक्स स्टेमिना बढ़ जाता है. यह भी कहा जाता है कि सेक्स से पहले किए गए कुछ योगासनों से दिमाग और मांसपेशियां तरोताजा हो जाती हैं. कुछ लोग यह भी कहते हैं कि योगासन करने से कामसूत्र के आसनों को करने में आसानी होती है. इस तरह ये विद्वान योग और संभोग के बीच संबंध स्थापित करते हैं. जानकारों ने संभोग में पारंगत होने के लिए कुछ योगासन की भी सिफारिशें की हैं. जैसे-
पद्मासन- इस आसन को करने से कूल्हों के ज्वाइंट, मांसपेशियां, मूत्रालय, पेट और घुटनों में खिंचाव आता है और मजबूती मिलती है. इससे आदमी सेहतमंद रहता है. इससे उत्तेजना का संचार होता है और चरमानंद की दीर्घता बढ़ जाती है.
भुजंगासन- इससे आपकी छाती चैड़ी हो जाती है और पीठ दर्द या बैक पेन की दिक्कतें दूर हो जाती हैं. इससे स्वप्नदोष को दूर करने में भी मदद मिलती है. इस आसन को करने से स्पर्म की कमजोरी भी दूर होती है.
सर्वांगासन- कंधा और गर्दन के हिस्से को मजबूत बनाते हुए यह नपुंसकता, निराशा, यौन शक्ति और यौनांगों की तकलीफों को दूर करता है.
हलासन- इससे पुरुषों और महिलाओं की यौन ग्रंथियों को मजबूती मिलती है. यौन ग्रंथियां सक्रिय भी होती हैं.
धनुरासन- संभोग समय को यह बढ़ा देता है और काम इच्छा को जगाता है. इससे लिंग और योनि शक्ति को शक्ति मिलती है.
पश्चिमोत्तनासन- ये सेक्स से जुड़ी प्रत्येक समस्या को दूर करने में सहायक होता है. जैसे- स्वप्नदोष, नपुंसकता और मासिक धर्म से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलती है.
भद्रासन- यौन संबंध बनाने में धैर्य और एकाग्रता बनाए रखता है. इससे पुरुषों और महिलाओं के स्नायु तंत्र को मजबूती मिलती है.
मुद्रासन- यह तनाव दूर करने के साथ ही महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े विकारों को दूर भगाता है. इससे मूत्राशय से जुड़ी दिक्कतें भी दूर होती हैं.
मयूरासन- इससे पुरुषों में स्पर्म काउंट की बढ़ोतरी होती है और महिलाओं के मासिक धर्म के विकार दूर होते हैं. अगर आप यह आसन लगातार एक महीने तक करते हैं तो पूर्ण संभोग सुख भोग सकते हैं.
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