पटना: उम्र के साथ बुजुर्गों में डिमेंशिया के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं. शोधकर्तओं ने एक अध्ययन में पाया है कि शतरंज और क्रॉसवर्ड का इस्तेमाल करने से डिमेशिया के विकसित होने से रोका जा सकता है.  शोधकर्ताओं ने 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 10,318 आस्ट्रेलियाई लोगों के आंकड़े एकत्र किए.


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शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो प्रतिभागी नियमित रूप से कंप्यूटर पर क्रॉसवर्ड और शतरंज जैसे खेल खेलते है, उनमें अपने साथियों की तुलना में डिमेंशिया की संभावना 9 से 11 प्रतिशत तक कम थी. बुनाई और पेंटिंग जैसे रचनात्मक शौक और पढ़ने जैसी गतिविधियों ने इस जोखिम को सात प्रतिशत तक कम कर दिया. इसके विपरीत, किसी के सोशल नेटवर्क, सिनेमा या रेस्तरां में जाना, सैर करना डिमेंशिया से जुड़ा नहीं पाया गया. वैश्विक स्तर पर 2022 में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित थे। हर साल इसके एक करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं. मोनाश यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन के वरिष्ठ लेखक एसोसिएट प्रोफेसर जोआन रयान ने कहा कि डिमेंशिया को रोकने के लिए रणनीतियों की पहचान करना एक बड़ी वैश्विक प्राथमिकता थी.


प्रोफेसर रयान ने कहा, हमारे पास एक अनूठा अवसर था कि हम जीवन शैली की उस पहलुओं की जांच करें जिससे डिमेंशिया से बचा जा सके. उन्‍होंने कहा, मुझे लगता है कि हमारे परिणाम हमें बताते हैं कि पहले से संग्रहीत ज्ञान का सक्रिय हेरफेर डिमेंशिया के जोखिम को कम करने में अधिक भूमिका निभा सकता है. दिमाग को सक्रिय और चुनौतीपूर्ण बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है.


प्रोफेसर रयान ने कहा कि नतीजों में इस बात से इनकार नहीं किया गया है कि जो लोग स्वाभाविक रूप से ऐसी गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं, उनके पास आमतौर पर बेहतर स्वास्थ्य और व्यवहार हो सकता है.


डिस्क्लेमरः यह खबर आईएएनएस के माध्यम से बनाई गई है. 


इनपुट- आईएएनएस


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