Patna: JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को कहा कि जिस पृष्ठभूमि में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI ) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने छापे मारे हैं, उससे केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के इशारे पर राजनीतिक प्रतिशोध के आरोपों की पुष्टि होती है. 


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बीजेपी पर साधा निशाना


अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसी के कथित दुरुपयोग को लेकर राज्य सरकार द्वारा CBI  से सामान्य सहमति वापस लेने की मांग को सोमवार को खारिज कर दिया. उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान जोर देकर कहा कि यह स्वयं एजेंसी की गलती नहीं बल्कि शासन ने माहौल को खराब कर दिया है. 


उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि राज्यों को इस तरह के कदम का सहारा लेना चाहिए. इसके लिए एजेंसी को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए. हमें केंद्र में ऐसी सरकार बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है, जो विश्वास और विश्वसनीयता का माहौल बना सके.' 


पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा अपनाया गया रुख सत्तारूढ़ महागठबंधन में कई अन्य नेताओं की राय से भिन्न प्रतीत होता है. जदयू मंत्री मदन साहनी के अलावा महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वामपंथी दलों के कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि बिहार को राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, पंजाब, झारखंड और मेघालय जैसे राज्यों के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए. देश भर के कुल नौ राज्यों ने इस तरह की सहमति वापस ले ली है. ये सभी भाजपा विरोधी दलों या गठबंधनों द्वारा शासित राज्य हैं. 


राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से हो रहा है ये


हालांकि, कुशवाहा ने यह भी स्पष्ट किया कि वह CBI  के दुरुपयोग के आरोपों से खुद को दूर नहीं कर रहे हैं. जदयू नेता ने कहा, 'इन एजेंसियों द्वारा जिस समय छापेमारी की गयी वह राजनीतिक प्रतिशोध के आरोपों को बल देता है. पिछले हफ्ते राजद के कई नेताओं के परिसरों में CBI छापे उसी दिन पड़े थे जब यहां की नवगठित महागठबंधन सरकार विश्वास मत का सामना कर रही थी.' 


राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते समय के नौकरी के बदले भूखंड घोटाले के सिलसिले में राजद के कई नेताओं के परिसरों पर छापे मारे गए थे. गुरुग्राम में एक निर्माणाधीन मॉल पर भी छापा मारा गया और बताया गया कि इस परियोजना में प्रसाद के परिवार की हिस्सेदारी है. इस बीच, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह के उपायों से गलत काम करने वालों की रक्षा नहीं हुई है.


(इनपुट: भाषा)