पटना: Tula Sankranti Upay:सनातन परंपरा में तुला संक्रांति का बहुत महत्व है. जब सूर्य ग्रह तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे तुला संक्रांति कहते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार आज (17 अक्टूबर) के दिन तुला संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. यूं तो देश भर में तुला संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, लेकिन कर्नाटक और ओडिशा में तुला संक्रांति का बड़ा महत्व है. यहां पर तुला संक्रांति के पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं. तुला संक्रांति पर सूर्य के गोचर से अन्य राशियों पर भी शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है. 


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तुला संक्रांति का महत्व
देश के कई राज्यों में तुला संक्रांति का पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. तुला संक्रांति और सूर्य के तुला राशि में रहने वाले इस माह में पवित्र जलाशयों और नदी में स्नान करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है. इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें, यदि कहीं न जा पाएं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. इसके बाद सूर्य देवता की  विधिवत पूजा-अर्चना करके जरूरतमंदों को लाल रंग की वस्तुएं दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देवता और महालक्ष्मी दोनों ही अत्यंत प्रसन्न होते हैं और जातकों को धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं.


गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
तुला संक्रांति के दिन माता महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष विधान है. मान्यता है कि अगर इस दिन सपरिवार माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना करके उन्हें चावल अर्पित किये जाएं तो जीवन में कभी भी अनाज और धन की तंगी नहीं झेलनी पड़ती. तुला संक्रांति के ही समय धान की फसल पूरी तरह पक जाती है. यही वजह है कि कई प्रदेशों में इस दिन किसान माता महालक्ष्मी को ताजे धान जरूर अर्पित करते हैं. इसके बाद माता से मन्नत प्रार्थना करते  कि महालक्ष्मी मां उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाएं और हर साल उन्हें अधिक से अधिक फसल दें.