पटना: UGC: बिहार में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए अर्हता में जल्द ही बदलाव हो सकता है. इसके तहत अब उन्हें ही पीएचडी से छूट मिलेगी जिन्होंने एक जुलाई 2023 तक नेट या जेआरएफ क्वालीफाई कर लिया हो.  बता दें कि ये बदलाव बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में पहले से ही लागू है. जिसके बाद इस अब बिहार में भी लागू करने की तैयारी चल रही है.  इसके लादू हो जाने के बाद जो लोग दो जुलाई या इसके बाद नेट या जेआरएफ क्वालीफाई करेंगे उनके लिए पीएचडी का कोर्स करना अनिवार्य होगा. यह बदलाव यूजीसी ने किया है जो बारी-बारी से अलग-अलग राज्यों में लागू किया जा रहा है.


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1 जुलाई तक पीएचडी से छूट


झारखंड के कुलाधिपति ने पिछले दिनों वहां के विवि के लिए यूजीसी के इस नए नियम को सहमति दी थी. अभी तक के रेगुलेशन के तहत जो नेट या जेआरएफ क्वालीफाई हैं, उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी करने की जरूरत नहीं थी. लेकिन 1 जुलाई से बाद से असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए योग्यता का पैमाना बदल जाएगा. पीजी बॉटनी के हेड डॉ. एचके चौरसिया ने बताया कि ये नेट व जेआरएफ वालो के लिए बेहतर होगा क्योंकि लेक्चरशिप के लिए तब इनके कुल वेटेज अंक में पीएचडी का अंक भी जुटेगा, जो 30 है.


बिहार में जल्द लागू होगा नियम


वैसे तो इस तरह के नियम देश के सभी विवि और असिस्टेंट प्रोफेसर बहाली प्रक्रिया पर लागू होते हैं, लेकिन राज्य के स्तर पर इसके लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं. यूजीसी का नियम होने के बाद भी य तभी लागू होगा जब राजभवन इस पर अपनी सहमति देगा. भूस्टा के अध्यक्ष प्रो. डीएन राय ने कहा कि झारखंड में यह व्यवस्था लागू हुई है. बिहार में राजभवन की अनुमति मिलने के बाद यह लागू होगा. दरअसल यूजीसी वैसे लोगों को लेक्चरशिप में लाना चाहता है जिन्होंने पहले शोध किया हो. ये शोध की क्वालिटी और पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के लिए है.


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