पटना : बिहार में 2024 चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा गर्म है. सरकार के खिलाफ कोई ना कोई अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहा है. शनिवार को केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब से बिहार में नई सरकार बनी है तब से दलित,पिछड़ा और अति पिछड़ा पर अत्याचार हो रहा है. यहां बात सुनने वाला कोई नहीं है.


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पशुपति पारस के बयान पर शुरू हुई प्रतिक्रियाएं
केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा बीजेपी के साथ रहकर के आप दलित भाइयों का हित कैसे कर सकते हैं. दलितों, वंचितों का हक और हितों की रक्षा के लिए नीतीश और तेजस्वी की सरकार महागठबंधन की बिहार में बनी है. बीजेपी को सत्ता में रह कर के भी दलितों के लिए कुछ नहीं कर पाई.


केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार ने कहा इनके यहां तो वर्चस्व की लड़ाई है, कहते हैं सुशासन हैं लेकिन सरकार पर कोई कंट्रोल नहीं है. जब सिस्टम फेल हो जाता है तो निश्चित तौर पर इस तरह की घटनाएं होंगी. सरकार में जितने भी अल्पसंख्यक मंत्री हैं वह खामोश हैं, तो दलितों के प्रति जो अत्याचार हो रहा है यह सरकार के कंट्रोल से बाहर है. जब से आरजेडी के साथ गए हैं. नीतीश कुमार खुद सदमे में हैं और उनमें इतनी हिम्मत नहीं है कि अगर दलितों पर कुछ अत्याचार हो तो आरजेडी के ग्रुप है उनको कुछ बोल सकें.


केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा पशुपति पारस केंद्र सरकार के मंत्री हैं लेकिन चश्मा उनका उल्टा है. वह जिस विभाग के मंत्री हैं उस विभाग के बारे में कभी बिहार के लोगों को बताए हैं क्या. उनके विभाग से बिहार के लोगों को लाभ है क्या, उनके विभाग से बिहार के नौजवानों को पिछड़ों को दलितों को क्या लाभ मिला इस पर तो कभी चर्चा नहीं करते हैं. राजनीतिक तो अपने चश्मा को सुलता करे तब पता चलेगा बिहार से कई गुना ज्यादा बत्तर हालात उत्तर प्रदेश का है. पशुपति पारस राजनैतिक चश्मा तो उतार के एक मंत्री के चश्मा से देखेंगे तो लगता है बिहार उनको बेहतर दिखाई देगा.


केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा पशुपति पारस लंबे समय तक नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सहयोगी के रूप में रहे तब तो नीतीश कुमार का गुणगान करते नहीं थकते थे, लेकिन जब से गठबंधन का स्वरूप बदला है. इनकी बोली ही बदल गई. कृपा से केंद्र में मंत्री बने हुए हैं जिनका खाएंगे उनका गुण गाएंगे ही. उन्हें अगर बिहार में पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलित महादलित समाज के लोगों की वस्तुस्थिति जानना है तो बाहर निकल कर घूमना भी पड़ेगा.


इनपुट- राजेश कुमार


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