Vijayadashami 2022: हर व्यक्ति को लेनी चाहिए रावण से ये सीख, बदल जाएगी जिंदगी
Vijayadashami 2022: पूरे देश में आज दशहरा या विजयादशमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. कहा ताजा है कि आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. रावण को लेकर इतिहास में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं.
पटना: Vijayadashami 2022: पूरे देश में आज दशहरा या विजयादशमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. कहा ताजा है कि आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. रावण को लेकर इतिहास में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. रावण बहुत ही शक्तिशाली राजा,सर्वज्ञानी, महाविद्वान और भगवान शिव का परम भक्त था. लेकिन उसका अहंकार ही उसके सर्वनाश का कारण बन गया. कहा जाता है कि हर इंसान के अंदर बुराई और अच्छाई दोनों का समागम होता है. इंसान पर जब बुराई हावी हो जाए तो वो दानव बन जाता है. इस तरह रावण भी कई कमियों के बावजूद एक विद्वान महा ज्ञानी पंडित था. ऐसे में लंका नरेश रावण के व्यक्तित्व से इन बातों को सीखना चाहिए.
ज्ञान
रावण बहुत बड़ा विद्वान ब्राह्मण था इस बात को तो सभी लोग जानते हैं. अपने ज्ञान के बल पर ही उसने तीनों लोकों पर कब्जा कर रखा था. ये रावण का ज्ञान ही था युद्ध के आखिरी समय में भगवान राम ने लक्ष्मण को रावण के पास शिक्षा लेने के लिए भेजा था. रावण की इस खूबी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर आपके पास ज्ञान है तो आपके शत्रु भी आपका सम्मान करते हैं.
दृढ़ संकल्प शक्ति
रावण का लगन का एकदम पक्का था. जिस भी वस्तु को वो पाने के लिए वो पूरी निष्ठा, लगन और जोश के साथ उसे हासिल करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करता था. इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि रावण ने धन रत्न कुबेर को भी अपना बंधक बना लिया था. अपने दृढ़ संकल्प संकल्प से ही वो पूरी धरती पर राज करने का सोचने लगा था.
धर्म में आस्था
रावण बहुत बड़ा ज्ञानी होने के साथ साथ भगवान शिव का बहुत ही बड़ा भक्त था. तीनों लोकों पर कब्जा करने के बावजूद भी रावण की अपने धर्म में बहुत आस्था थी.
शत्रु को छोटा नहीं समझो
लक्ष्मण जब रावण के पास शिक्षा लेने गए तब रावण ने उन्हें शिक्षा दी कि कभी भी अपने शत्रु और प्रतिद्वंद्वी को छोटा नहीं समझना चाहिए. ये गलती आपके जीवन में बहुत भारी पड़ सकता है. रावण ने कहा मैं वानर और भालू को साधारण समझने की भूल कर बैठा, लेकिन इन साधारण वानर और भालू ने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया.
शुभ कार्य को पहले करें
रावण ने लक्ष्मण को बताया कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो उसे कर देना चाहिए और अशुभ को जितना हो सके उसे टाल देना चाहिए अर्थात शुभस्य शीघ्रम. रावण ने कहा कि जल्द बाजी में प्रभु श्रीराम को मैं पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देर कर दी. जिसके चलते मेरी यह हालत हुई. अगर समय रहते मैं ये पहचान लेता तो मेरी यह हालत नहीं होती. तो अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो अपने जीवन में आने वाले शुभ कार्य को पहले करें.
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