उपभोक्ता फोरम ने गैस एजेंसी को आदेश दिया है कि वे 1.50 रुपये को 6% वार्षिक ब्याज सहित दो महीनों के भीतर वापस करें. इसके साथ ही उपभोक्ता को 2000 रुपये मेंटल डिस्टरबेंस और 2000 रुपये कानूनी खर्च के लिए मुआवजा भी दिया जाए.
Trending Photos
Consumer Forum: इस भागदौड़ वाली जिंदगी और महंगाई के दौर में डेढ़ रुपये भले ही ज्यादा महत्वपूर्ण ना लगे. लेकिन मध्य प्रदेश के सागर जिले के निवासी चक्रेश जैन ने महज 1.50 रुपये के लिए गैस एजेंसी के खिलाफ सात साल तक लंबी लड़ाई लड़ी और आखिरकार जीत हासिल की.
उपभोक्ता फोरम ने गैस एजेंसी को आदेश दिया है कि वे 1.50 रुपये को 6% वार्षिक ब्याज सहित दो महीनों के भीतर वापस करें. इसके साथ ही, चक्रेश जैन को 2,000 रुपये मेंटल डिस्टरबेंस और 2,000 रुपये कानूनी खर्च के लिए मुआवजा भी दिया जाए.
क्या है मामला?
यह मामला 14 नवंबर 2017 को शुरू हुआ, जब चक्रेश जैन ने भारत गैस एजेंसी से एक गैस सिलेंडर बुक किया था. सिलेंडर का बिल 753.50 रुपये था, लेकिन डिलीवरी कर्मी ने 755 रुपये वसूले और 1.50 रुपये वापस करने से इनकार कर दिया. जब जैन ने अपने पैसे वापस मांगे, तो उन्हें एजेंसी से संपर्क करने के लिए कहा गया. इस पर जैन ने तुरंत एजेंसी और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई.
पहली शिकायत पर कोई कार्रवाई न होने के बाद, चक्रेश जैन ने 15 जुलाई 2019 को सागर जिला उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज किया. गैस एजेंसी ने इस मुद्दे को तुच्छ बताते हुए इग्नोर कर दिया और जैन का मजाक भी उड़ाया. लेकिन जैन अपने वकील राजेश सिंह के समर्थन से अपने अधिकारों के लिए डटे रहे.
अधिकार और आत्म सम्मान की लड़ाईः चक्रेश जैन
पांच साल की लंबी सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम ने एजेंसी की सेवा में कमी को स्वीकार किया और ऐतिहासिक फैसला सुनाया. फोरम ने एजेंसी को आदेश दिया कि वे 1.50 रुपये दो महीने के भीतर वापस करें, साथ ही 6% वार्षिक ब्याज भी दें. इसके अलावा जैन को मानसिक, आर्थिक और सेवा से जुड़ी परेशानियों के लिए 2,000 रुपये का मुआवजा और उनके कानूनी खर्चों के लिए भी 2,000 रुपये देने का निर्देश दिया गया.
चक्रेश जैन की यह लड़ाई उपभोक्ता अधिकारों के लिए एक मिसाल की तरह है. इस लंबी लड़ाई पर जैन का कहना है कि यह केवल 1.50 रुपये की बात नहीं थी, बल्कि यह हमारे अधिकारों और आत्म-सम्मान की लड़ाई थी.