Pali language: क्या है पाली भाषा? जिसे मोदी सरकार ने दिया है शास्त्रीय भाषा का दर्जा
Pali language: केंद्र सरकार ने हाल ही में पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है. पाली भाषा भगवान बुद्ध के समय बोली जाती थी.
पटना: केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया. इसके बाद से ही हर कोई पाली भाषा का इतिहास जानना है. तो आपको बता दें कि पाली भाषा का इतिहास भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ है. पाली भाषा की गिनती भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात भाषाओं में होता है. इस भाषा को भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात लिपि ब्राम्ही लिपि में लिखा जाता था. इस बात का प्रमाण सम्राट अशोक के शिलालेखों और स्तंभों से भी मिलता है. भगवान बुद्ध के समय में पाली पूरे भारत के जनमानस की भाषा थी. भगवान बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में ही दिए थे. इसके अलावा बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ त्रिपिटक की भाषा भी पाली ही थी.
पीएम मोदी ने पाली को शास्त्रीय भाषा का मान्यता देने के बाद कहा कि ये भगवान बुद्ध की महान विरासत की सम्मान है. मुझे खुशी है कि पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का सौभाग्य मिला है. भगवान बुद्ध की शिक्षाए दुनिया को इसी भाषा में मिली है. पाली भाषी को संरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी है. पाली भाषा को ये दर्जा पाने में सात दशक लग गए.
बता दें कि इस भाषा को पाली-मगधी के नाम से भी जाना जाता है. सम्राट अशोक के शिलालेखों और स्तंभों से पाली भाषा के बारे में जानकारी मिलती है. पाली भाषा को कई बोली जाने वाली भाषाओं का संमिश्र भाषा माना जाता है. पाली भाषा और संस्कृत भाषा काफी एक जैसे हैं लेकिन पाली को संस्कृत भाषा का वंशज नहीं कहा गया है. पाली भाषा का समय लगभग 500 ईसा पूर्व से 1000 ईस्वी तक माना जाता है. पाली भाषा का विकास वैदिक काल के बोल चाल से हुआ है.
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