Grah Gochar: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर जातक की जीवन में उसकी कुंडली में स्थित नवग्रहों का विशेष महत्व होता है. इन नवग्रहों में चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु जातक की कुंडली में जिस भाव में होते हैं वह जातक के जीवन पर वैसा ही असर करते हैं. बता दें कि इन नवग्रहों की अपनी गति निर्धारित है जिसकी वजह से यह समय-समय पर अपनी राशियां बदल ते रहते हैं. ऐसे में इन ग्रहों के राशि परिवर्तन का जातक के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का असर पड़ता है. 


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अब समझते हैं कि हम जो हमेशा ग्रह गोचर की बात करते हैं वह आखिर है क्या? तो आपको बता दें कि ग्रह तो आप समझ ही गए कि किसी जातक की कुंडली में नवग्रह होते हैं. वहीं गोचर जो 'गम्' धातु से बना है उसका अर्थ होता है चलायमान और 'चर' शब्द का अर्थ होता है 'गतिमान होना'. ऐसे में इसका अर्थ है निरंतर चलने वाला. ऐसे में आपको बता दें कि सभी ग्रह अपनी धुरी पर लगातार गतिमान रहते हैं और एक निश्चित अवधी पर अपनी चाल बदलते हैं. ऐसे में ग्रहों का एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन ही गोचर कहलाता है. ऐसे में ग्रहों के गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का होता है. 


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ऐसे में ग्रह दो तरह की चाल चलते हैं एक मार्गी और दूसरा वर्की, मार्गी का अर्थ होता है अपनी सीधी चाल से चलना और वर्की का अर्थ होता है अपनी चाल के विपरित चतलना. राहु और केतु छाया ग्रह हैं और यह हमेशा वर्की ही चलते हैं. जबकि अन्य 5 ग्रह समय समय पर मार्गी और वर्की चाल चलते रहते हैं. जबकि सूर्य और चंद्रमा कभी भी वर्की गोचर नहीं करते हैं.  यह हमेशा मार्गी ही होते हैं. 


अब आपको बताते हैं कि किन ग्रहों की गोचर अवधि कितनी होती है. तो पहले सूर्य की इसकी गोचर अवधि 1 महीने की होती है. वहीं चंद्रमा के लिए सवा दिन, मंगल को डेढ़ महीने, बुध को 14 दिन, बृहस्पति को एक साल, शुक्र को 23 दिन, शनि को 2.5 साल इसके साथ ही राहु और केतु को एक से डेढ़ वर्ष का समय लगता है जिसमें ये राशि परिवर्तन करते हैं. आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र की मानें तो बुध, शुक्र, गुरु और चंद्र सबसे शुभ ग्रह माने गए हैं, जबकि मंगल, शनि, सूर्य, राहु और केतु को अशुभ ग्रह माना गया है.