Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र में दिशाओं और ऊर्जा का विशेष महत्व होता है. हर दिशा का संबंध किसी न किसी देवता से होता है और उस दिशा में सही वस्तुएं रखने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. यदि कोई चीज गलत दिशा में रख दी जाए या घर का निर्माण सही तरीके से न किया जाए, तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार आग्रेय कोण की चार मुख्य दिशाएं होती हैं. पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण आदि. इनके अलावा चार विदिशाएं भी होती हैं, जिन्हें ईशान कोण (उत्तर-पूर्व), नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम), वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) और आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) कहा जाता है. आज हम बात करेंगे आग्नेय कोण के बारे में.


आग्नेय कोण और इसका देवताओं से संबंध
आचार्य के अनुसार आग्नेय कोण दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित होता है और यह अग्नि का स्थान माना जाता है. इस दिशा का संबंध अग्नि देव से होता है, जो ऊर्जा और शक्ति के प्रतीक हैं. इसके अलावा, इस दिशा के स्वामी शुक्र देव भी हैं, जो सुंदरता और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं. मंगल ग्रह का भी इस दिशा पर प्रभाव होता है, जिससे यह दिशा और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है.


आग्नेय कोण की ऊर्जा
आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में सूर्य की किरणें ज्यादा समय तक पड़ती हैं, जिससे इस दिशा में गर्मी और ऊर्जा अधिक होती है. इस दिशा को अग्नि से संबंधित माना जाता है, इसलिए यहां गर्मी पैदा करने वाले उपकरण जैसे बिजली के उपकरण, भट्टी, इन्वर्टर आदि रखना शुभ होता है, लेकिन ध्यान रखें कि इस दिशा में जल से संबंधित कोई चीज जैसे बोरिंग, हैंडपंप या पानी की टंकी नहीं बनवानी चाहिए, क्योंकि अग्नि और जल एक-दूसरे के विरोधी तत्व होते हैं.


आग्नेय कोण में क्या नहीं रखना चाहिए
साथ ही बता दें कि आग्नेय कोण का संबंध शुक्र ग्रह से भी है, जो स्त्री कारक ग्रह है. इसलिए इस दिशा में पति-पत्नी का शयन कक्ष नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा इस दिशा में सैप्टिक टैंक, पूजा घर या तिजोरी भी नहीं बनवानी चाहिए, क्योंकि इससे घर में अशांति और धन की हानि हो सकती है.


Disclaimer: यह जानकारी मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है. किसी भी वास्तु उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.


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