एमआरआई पेसमेकर और नॉन-एमआरआई पेसमेकर की कब पड़ती है जरूरत, इन दोनों में क्या है अंतर
Bihar News : डॉक्टर ने मरीजों से पैसे लेकर उन्हें गुणस्तर में कमजोर पेसमेकर लगाए. यहां एक विभाजन है एमआरआई और नॉन-एमआरआई पेसमेकर. एमआरआई पेसमेकर को एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, और एमआरआई के साथ संग्रहीत किया जा सकता है, जबकि नॉन-एमआरआई पेसमेकर को एमआरआई में सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं होती.
MRI pacemaker and non-MRI pacemaker : डॉक्टरों को अक्सर भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन एक ऐसे डॉक्टर की हैवानियत की कहानी ने हमें चौंका दिया है. यह घटना यूपी के इटावा स्थित 'सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी' में हुई है, जहां एक डॉक्टर ने मरीजों को पेसमेकर लगाने के नाम पर घटिया पेसमेकर लगा दिए. इसके कारण दर्जनों लोगों की मौत हो गई है. डॉक्टर समीर सर्राफ को गिरफ्तार किया गया है और पीड़ितों के परिवारों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है. इस घटना ने लोगों को डॉक्टरों पर विश्वास खोने का डर दिलाया है.
पेसमेकर एक छोटी सी मशीन है जो दिल के मरीजों में लगाई जाती है ताकि उनकी धड़कनें सही तरीके से काम करें. यह दिल में इलेक्ट्रिक प्लस भेजकर दिल को सही से काम करने में मदद करती है. जांच के अनुसार डॉक्टर ने मरीजों से पैसे लेकर उन्हें गुणस्तर में कमजोर पेसमेकर लगाए. यहां एक विभाजन है एमआरआई और नॉन-एमआरआई पेसमेकर. एमआरआई पेसमेकर को एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, और एमआरआई के साथ संग्रहीत किया जा सकता है, जबकि नॉन-एमआरआई पेसमेकर को एमआरआई में सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं होती.
पेसमेकर की स्थापना दिल की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर की जाती है, जिससे दिल की धड़कनें सही हों. यह सर्जरी के दौरान दिल के लेफ्ट या राइट कॉलर बोन के नीचे लगता है और नसों को जोड़ता है. इस घटना ने हमें यह सिखाता है कि हमें अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना बहुत जरूरी है और हमें अपने डॉक्टर की चयन में सावधानी बरतनी चाहिए. इसके अलावा हमें अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी पर विश्वास करना चाहिए और सही समय पर सही उपाय के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
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