Panchkroshi Yatra: पंचक्रोशी यात्रा का क्या है महत्व? क्या है धार्मिक मान्यताएं, जानें सबकुछ
Panchkroshi Yatra: पंचक्रोशी यात्रा बनारस के पूरे शहर में किया जाता है. ये पूरा यात्रा 84 किलोमीटर का होता है. आइए जानते हैं पंचक्रोशी यात्रा करने का सही तरीका क्या है.
Panchkroshi yatra: हमारे हिंदू धर्म में एक ऐसी यात्रा है जो धार्मिक साधना के साथ-साथ सामाजिक सहयोग का माध्यम भी है. पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत चैत्र के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, चतुर्थी तिथि या पंचमी तिथि को शुरू होती है. माना जाता है कि केवल काशी नाम जपने से बहुत सारे पाप कट जाते है. अगर आप अपने जीवनकाल में एक बार यह यात्रा कर लें तो यह आपके जीवन का एक बेहद ही सुखी पल होगा. आइए जानते हैं यात्रा पांच पड़ाव के बारे में.
पंचक्रोशी यात्रा का महत्व
हिंदू धर्म में कई तीर्थ यात्राएं हैं और सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं है. हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण पंचक्रोशी यात्रा हैं. हिंदू धर्म मानने वाले सभी व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार जरूर पंचक्रोशी यात्रा करनी चाहिए. देश-विदेश से लोग पंचक्रोशी यात्रा करने काशी पहुंचते हैं. यह यात्रा अक्सर लोग महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर करते है.
पंचक्रोशी यात्रा के नियम
पंचक्रोशी यात्रा करने से पहले श्रद्धालु को भगवान श्रीगणेश की अराधना करनी चाहिए. इसके बाद उनसे यात्रा का आज्ञा लेना चाहिए. चैत्र के शुक्ल पक्ष की तृतीया, चतुर्थी या पंचमी तिथि को इस यात्रा के लिए अनुष्ठान माना गया है.
पंचक्रोशी यात्रा के महत्वपूर्ण स्थान
कर्दमेश्वर: पंचक्रोशी यात्रा का पहला पड़ाव है. कर्दमेश्वर धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यहां यात्रा करना महत्वपूर्ण है.
भीम चंडी: पंचक्रोशी यात्रा के दूसरा पड़ाव भीम चंडी पहुंचते हैं, जहां धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवी भीमचंडी का आशीर्वाद मिलता है.
रामेश्वर: यह तीसरा पड़ाव है जहां श्रद्धालु रामेश्वर मंदिर की ओर बढ़ते हैं, जो भगवान शिव का दर्शन करते हैं.
शिवपुर: शिवपुर यात्रा का चौथा पड़ाव है, जहां श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.
कपिलधारा: कपिलधारा यात्रा पांचवा पड़ाव है. यहां यात्री भगवान कपिल मुनि के तपस्या स्थल तक जाते हैं. इस स्थान पर यात्री ध्यान और धार्मिक साधना करके अपनी आत्मा का संयम और शांति की प्राप्ति करते हैं.