Bihar Top Richest Person Anil Agarwal: हम अक्सर सोचते हैं कि बड़े उद्योगपति कोई खास मिट्टी के बने होते हैं, लेकिन जब हम उनके संघर्ष और बचपन की कहानियों को जानते हैं, तो समझ में आता है कि उनकी जिंदगी भी हमारी तरह ही है. उनकी यादों की गुल्लक में भी बचपन के वही प्यारे पल होते हैं जो हमारे पास हैं. आज हम आपको बिहार के एक ऐसे ही बड़े उद्योगपति की कहानी बताने जा रहे है. यह कहानी है पटना के रहने वाले वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल की. 


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कौन हैं अनिल अग्रवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अनिल अग्रवाल एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति हैं, जो वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी के अध्यक्ष और संस्थापक हैं. उनका जन्म 1954 में पटना में हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक छोटे से स्क्रैप मेटल व्यापारी के रूप में की थी, लेकिन कड़ी मेहनत और सही निर्णयों की वजह से वे आज भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में से एक हैं. उनकी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज खनन और पेट्रोलियम के क्षेत्र में काम करती है.



भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शामिल है पटना के अनिल अग्रवाल का नाम
जानकारी के अनुसार अनिल अग्रवाल का सफर बहुत ही प्रेरणादायक है. 1970 के दशक में उन्होंने स्क्रैप मेटल का व्यापार शुरू किया. कुछ ही वर्षों में उन्होंने शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन नाम की एक कंपनी का अधिग्रहण कर लिया. इसके बाद 1986 में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना की, जो तांबा गलाने और रिफाइन करने वाली भारत की पहली निजी कंपनी बनी. यह कंपनी 1993 में अस्तित्व में आई.


2003 में शुरू की वेदांता रिसोर्सेज कंपनी
साथ ही खनन क्षेत्र में उनका प्रवेश तब हुआ जब उन्होंने भारत एल्युमिनियम कंपनी (BALCO) में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी और इसके साथ ही सरकारी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में भी बहुलांश हिस्सेदारी हासिल की. 2003 में उन्होंने अपनी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय पूंजी तक पहुंचने का मौका मिला. आज वेदांता एक प्रमुख वैश्विक कंपनी है, जिसका कारोबार जस्ता, सीसा, चांदी, तांबा, लौह अयस्क, एल्युमिनियम, बिजली उत्पादन और तेल एवं गैस में फैला हुआ है.



परोपकारी गतिविधियों में भी है इनका बड़ा योगदान 
जानकारी के अनुसार अनिलअगले कुछ वर्षों में कंपनी के नेतृत्व से हटने और गैर-कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका निभाने का विचार कर रहे थे, लेकिन 2019 में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अभी वेदांता से सेवानिवृत्त होने का कोई इरादा नहीं रखते और उनका परिवार भी उनके उत्तराधिकारी के रूप में काम नहीं करेगा. साथ ही परोपकारी गतिविधियों में भी अनिल अग्रवाल का बड़ा योगदान है. 1992 में उन्होंने वेदांता फाउंडेशन की स्थापना की, जो सामाजिक और परोपकारी कार्यों में लगी हुई है. अनिल अग्रवाल ने अपने परिवार की 75 प्रतिशत संपत्ति दान करने का संकल्प लिया है और उन्हें इस विचार के लिए बिल गेट्स से प्रेरणा मिली है. उनका उद्देश्य न केवल अपनी कंपनी का विकास करना है, बल्कि भारत को एक विकसित देश बनते देखना भी है. उनका मानना है कि लाभ के साथ-साथ समाज के हित में काम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. अग्रवाल का जीवन और उनके द्वारा हासिल की गई सफलता, उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं.


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