पटनाः Janmashtami 2022: आने वाली 20 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है. भगवान का जन्म रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ राशि में हुआ था. इस दिन देशभर के मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. श्रीकृष्ण का जन्म धरती से पाप हरने के लिए हुआ था. इसकी शुरुआत उन्होंने बचपन से ही कर दी थी. पूतना, वकासुर, अनलासुर, शकटासुर, चारूण और मुष्टिक के साथ श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया. 


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कंस ने की अपने छह भांजों की हत्या
कंस, श्रीकृष्ण का ही मामा था, जो अत्याचारी, और अनाचारी थी. उसने अपने पिता उग्रसेन से राज्य हड़प लिया और अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव के कारागार में डाल दिया. आकाशवाणी हुई थी कि कंस का वध उसकी बहन का आठवां पुत्र ही करेगा. इसलिए कंस ने एक-एक करके अपनी बहन देवकी के सारे बच्चों की हत्या कर दी. सातवीं संतान के रूप में बलराम और आठवें पुत्र के रूप में खुद भगवान विष्णु ने जन्म लिया और काली रात में जन्म लेकर कृष्ण कहलाए. कंस ने यूं ही देवकी के छह पुत्रों को नहीं मार दिया, बल्कि उनका पूर्व जन्म से ही कंस से संबंध था और उनका वध कंस के ही हाथों होना था. 


क्या है पूर्व जन्म का संबंध
कंस आठवें पुत्र के इंतजार में देवकी के सभी पुत्रों की हत्या करता जा रहा था. दरअसल, ये पूर्वजन्म में कंस की ही संतानें थीं. असल में कंस अपने पूर्वजन्म राक्षस कालनेमि था. एक बार जब उसने देवताओं से युद्ध किया तो भगवान विष्णु ने उसका वध कर दिया. कालनेमि ने ही फिर से अगला जन्म कंस का लिया. राक्षस कालनेमि के छह पुत्र थे, लेकिन वह अपने पिता की तरह राक्षसी विचार वाले नहीं थे. उन्होंने ब्रह्मा-विष्णु की तपस्या की. इस बात से नाराज होकर राक्षस हिरण्यकशिपु ने उन्हें श्राप दे दिया. उसने कहा कि जिस पिता ने तुम्हें पालकर बड़ा किया, तुम उसका ही विद्रोह कर रहे हो, तुम्हें तुम्हारा यही पिता पटककर मार डाले तो अच्छा. कालनेमि उस जन्म में तो उन्हें मार नहीं सकता था, इसलिए जब वह कंस बनकर जन्मा तब द्वापर में इन्हीं छह पुत्रों ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया. तपस्या के फल के कारण वह भगवान विष्णु के भाई बने और परमधाम को गए.


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