पटनाः Agarbatti-Dhoop use in Puja: पूजा पाठ के दौरान जो काम हम सबसे पहले करते हैं, वह है वातावरण को शुद्ध करना. एक शुद्ध वातावरण में मनुष्य ध्यान की अवस्था में जा सकता है. इसीलिए हम सबसे पहले धूप या अगरबत्ती जलाकर वंदना की शुरुआत करते हैं. पूजा में सुगंध का महत्व प्राचीन काल से रहा है. धूप जलाकर हम सबसे पहले स्थान की वायु में आध्यात्म का प्रभाव बनाते हैं, जिसके कारण मन शांत होता है और पूजा के लिए एकाग्र बनता है. 


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जड़-चेतन को जागृत करती है अगरबत्ती
धूप असल में यह एक सुगंधित औषधि (मेडिकेटेड लेप) होती है, जिसे पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. अगर-तगर नाम की औषधि पूजा में हमेशा से प्रयोग होती है. इसीके साथ अगरबत्ती और धूप दोनों ही बनाई जाती है. सुगंधित लकड़ी की सींकों में जब अगर को लपेट कर सुखा लिया जाता है तो इसे अगरबत्ती कहा जाता है. अगरतगर हवन सामग्री में मिलाई जाने वाली वाली जड़ी बूटी, औषधि और खुशबू दार सामग्री है. इसे अग्नि में मिलाते हैं तो माना जाता है कि यह जड़ और चेतन दोनों की चेतना को जागृत करती है. 


ये है अगरबत्ती की खासियत
ज्योतिष शास्त्र भी अगरबत्ती के महत्व को स्वीकार करता है. यह मानता है कि अगरबत्ती और धूप जलाने से घर में सुख और समृद्धि आती है. धूप का धुआं घर में मौजूद बुरे प्रभाव को समाप्त कर देता है. धूप के जलने से उठा सुगंधित धुआं वातावरण को शुद्ध और पवित्र कर देता है. इसलिए घर-मंदिर में सुबह के समय धूप जलाई जातीहै. वातावरण सुगंधित हो जाता है और वास्तु दोष दूर होता है. यह भी माना जाता है कि घर की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है. अगरबत्ती जलाने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहेंगी और कभी भी आपके घर में धन की कमी नहीं होगी. 


मन को शांत रखती है अगरबत्ती
अगरबत्ती और धूपबत्ती जलाने से इससे निकलने वाला धुआं मन को शांत रखता है साथ ही यह वातावरण को शुद्ध कर खुशनुमा बनाता है. आप जब किसी धार्मिक आयोजन में बैठते हैं तो शांत महसूस करते हैं और पूजा पाठ में ध्यान केंद्रित होता है. अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के लिए अलग-अलग जड़ी बूटियों और सुगंधित चीजों का इस्तेमाल किया जाता है.