पटना: छींक आना एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है. यह किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय हो सकती है. सामान्य: दिन में 2-3 बार छींक आना सामान्य है, लेकिन बार-बार छींक आने पर यह परेशानी का कारण बन सकती है. छींक के दौरान नाक से बाहर निकलने वाले कण और कीटाणु शरीर की रक्षा करते हैं, लेकिन क्या छींक आना वास्तव में शरीर के लिए फायदेमंद है. डॉक्टर वीके मोंगा के अनुसार छींक आना एक प्राकृतिक क्रिया है जो शरीर को साफ करती है. जब नाक में कोई बाहरी वस्तु या कीटाणु प्रवेश करता है, तो यह श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है. छींक आने से यह कण और कीटाणु बाहर निकल जाते हैं, जिससे श्वसन तंत्र सुरक्षित रहता है.


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डॉक्टर वीके मोंगा के अनुसार छींकने से नाक और गले की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और शरीर खुद को साफ करता है. कई लोगों को सुबह के समय छींक आती है क्योंकि सोते समय छींकने वाली नसें आराम करती हैं. हालांकि, कुछ लोगों को सर्दी या धूल-मिट्टी के कारण छींक आ सकती है. डॉक्टर का कहना है कि छींक नाक या मुंह से आती है और यह नासिका मार्ग को साफ करती है. यह धूल, अजीब गंध, पालतू जानवरों की रूसी या अन्य तत्वों के कारण हो सकती है. छींक की प्रक्रिया के दौरान मस्तिष्क को संकेत भेजे जाते हैं जिससे शरीर बाहरी कणों को बाहर निकालने का प्रयास करता है.


इसके अलावा उन्होंने बताया कि छींक आने पर कुछ लक्षण जैसे नाक में खुजली, सिरदर्द, भारीपन, चिड़चिड़ापन, सूंघने की क्षमता कम होना, आंखों का लाल होना और नाक से पानी बहना हो सकते हैं. छींक को ट्रिगर करने वाली चीजों में आइब्रो को तोड़ना, अत्यधिक परिश्रम और धूप शामिल हैं. इन स्थितियों में छींक आ सकती है. छींक को नियंत्रित करने के लिए काली मिर्च, आंवला, अदरक और लहसुन का सेवन किया जा सकता है. साथ ही छींक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि यह शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है. छींक 100 मील प्रति घंटे की गति से निकलती है और इसमें एक लाख से अधिक जीवाणु होते हैं. इसलिए, छींकते समय नाक पर रूमाल लगाना चाहिए और दूसरों से थोड़ी दूरी बनाए रखनी चाहिए ताकि कीटाणु अन्य लोगों तक न पहुंचे.


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