Lakshmiji Puja: मां लक्ष्मी को हिंदू धर्म में धन और वैभव की देवी माना जाता है. यह मान्यता है कि जहां लक्ष्मी का वास होता है, वहां कभी आर्थिक तंगी नहीं आती और भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी नहीं रहती. इसलिए लोग मां लक्ष्मी की पूजा न केवल अपने घरों में बल्कि कार्यस्थलों पर भी करते हैं, ताकि उनके व्यवसाय और नौकरी में भी आर्थिक समृद्धि बनी रहे.


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स्त्री को क्यों कहा जाता है देवी लक्ष्मी का रूप
आचार्य मदन मोहन के अनुसार हिंदू धर्म में स्त्रियों को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है. जब किसी घर में कन्या का जन्म होता है, तो लोग कहते हैं, 'मुबारक हो, लक्ष्मी आई है'. इसी तरह घर की बहुओं को भी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और घर की देखभाल की जिम्मेदारी उन्हें दी जाती है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि स्त्रियों को लक्ष्मी ही क्यों कहा जाता है? आखिर मां दुर्गा, मां पार्वती, देवी सरस्वती या अन्य देवी क्यों नहीं है. साथ ही मां लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं हैं, बल्कि उनके पास अपार शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का भंडार है. उन्हें ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. इसी वजह से जब कोई बेटी घर में जन्म लेती है या कोई नई बहु आती है, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है. यही कारण है कि सनातन धर्म में स्त्रियों को दैवीय महत्व दिया गया है और उन्हें लक्ष्मी के समान माना जाता है.


शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व
आचार्य मदन मोहन ने आगे कहा कि मां लक्ष्मी की पूजा नियमित रूप से की जाती है, लेकिन शास्त्रों में विशेष रूप से शुक्रवार का दिन देवियों की पूजा के लिए समर्पित है. शुक्रवार को मां संतोषी, मां दुर्गा, महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा की जाती है. इसलिए, शुक्रवार को मां लक्ष्मी और उनके विभिन्न रूपों की पूजा को शुभ माना जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा और व्रत का विधान है.


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