अश्विनी कुमार चौबे की कलम से 


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ({M Narendra Modi) ने जब साल 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के समय 'सबका साथ. सबका विकास' का नारा दिया था, उस समय अनगिनत लोगों के मन में यही सवाल कौंध रहा था कि आख़िर यह सपना कैसे साकार होगा. लेकिन अब चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के यशस्वी नेतृत्व में हमारी सरकार के नौ साल पूरे हो गए हैं तो देश की व्यवस्था में आए आमूलचूल परिवर्तन को देखते हुए यह सहज कहा जा सकता है कि देश सुरक्षित हाथों में है और सर्वसमावेशी विकसित समाज की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में गरीबों का कल्याण, उनकी सेवा और देश को एक कारगर सुशासन की व्यवस्था देने का काम किया है. इन 9 वर्षों के कार्यकाल में आम जनता ने ट्रांसफॉर्म और रिफार्म से होने वाले परिवर्तनों को महसूस किया है. नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों की मीमांसा करने के उपरांत पता चलता है कि मोदी सरकार ने सभी के लिए समान अवसर भी उपलब्ध कराए हैं. आज देश में राजनीति का अर्थ विकास है. परिवारवाद, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, अपराध और गुंडागर्दी नहीं बल्कि विकासवाद ही आज की राजनीति का केंद्रबिंदु है.


 



यह एक राजनीतिक सुधार के साथ-साथ सामाजिक सुधार भी है जिसके प्रणेता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नीतियों और उसे क्रियान्वित करने में भारत प्रथम का संकल्प पूरी दृढ़ता के साथ दिखाई पड़ता है. यह संकल्प सरकार की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक प्रबंधन, वंचित समूहों के लिए सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के कार्यों में मिली सफलता के माध्यम से स्पष्ट दिखाई देता है. हमारी सरकार हमेशा चुनौतीपूर्ण लक्ष्यों को तय करने और उन्हें निर्धारित समय से भी पहले पूरा करने में विश्वास रखती है. इसका बड़ा उदाहरण कोविड का टीकाकरण है. यह एक विश्व रिकॉर्ड है कि हम इतने कम समय में देशवासियों का टीकाकरण करने में सफल हुए. केवल टीकाकरण ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक निर्यात, पूरे भारत में हो रही डिजिटल क्रान्ति, ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण, आवास, शौचालय, अमृत सरोवर, विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण, हर घर नल से जल जैसी अनेक लक्ष्य प्राप्त किए गए. विकास तभी सार्थक होता है जब उसमें समग्रता का दृष्टिकोण हो, भाजपानीत सरकार की अनूठी बात यह भी है कि हम समावेशी विकास के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ते हैं. आज समान रूप से प्रत्येक क्षेत्र का विकास हमारी प्राथमिकता है. उसका सबसे बड़ा उदाहरण है कांग्रेसनीत सरकार में उपेक्षित नार्थ-ईस्ट और पर्यावरण संरक्षण जैसा गंभीर विषय. अथर्ववेद में कहा गया है कि पृथ्वी हमारी माता हैं और हम उनके बच्चे हैं. भारतीय दर्शन और जीवनशैली हमेशा ही प्रकृति के साथ सह.अस्तित्व की संकल्पना के साथ जुड़ी रही है.


पिछले 9 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद सीओपी 21 के बाद से जलवायु न्याय के प्रति श्री नरेन्द्र मोदी जी के सिद्धांत ने यह सुनिश्चित किया है कि जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में समानता की चिंताओं की अनदेखी न की जाए. ग्लासगो में सीओपी 26 में प्रधानमंत्री ने लाइफ का विचार प्रस्तुत किया. भारत मानता है कि जलवायु कार्रवाई व्यक्तिगत स्तर पर आरंभ होती है और प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन की जटिल समस्या का एक सरल समाधान उपलब्ध कराया है.


आज भारत में वन आच्छादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. पिछले दशक के दौरान भारत में बाघों की संख्या में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है और भारत में विश्व में बाघों की संख्या के 75 प्रतिशत से अधिक का वास है. 2022 में बाघों की गिनती के अनुसार भारत में कुल 3167 बाघ हैं जो कि एक रिकार्ड है. 2023 में 70 वर्षों के बाद चीता शावक पैदा हुआ. गौरतलब है कि यह प्रजाति देश में पहले विलुप्त हो चुकी थी.
एक ओर कई देश अपने जलवायु लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहे हैं, वहीं भारत ने अंतिम समय सीमा से पहले ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है. उदाहरण स्वरुप राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के तहत एथनौल मिश्रित पेट्रोल के लिए निर्धारित लक्ष्य को अंतिम समय सीमा से पांच महीने पहले ही अर्जित कर लिया गया.


नमामि गंगे कार्यक्रम जो कि 35 हजार 415 करोड़ रूपए की योजना है, इसकी बदौलत जीवनदायिनी माँ गंगा के प्रदूषण को सफलतापूर्वक रोक दिया गया और इसके अनगिनत स्थानों पर जल की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया. नमामि गंगे योजना प्रधानमंत्री के ह्रदय के करीब रही है जैसा कि उन्हें प्राप्त उपहारों की नीलामी से मिली सभी आय को नमामि गंगे कार्यक्रम में दान करने के उनके निर्णय से जाहिर होता है.


पिछले 9 वर्षों में ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की ओर तीव्र रूपांतरण देखा गया है. इसके अलावा उजाला कार्यक्रम के तहत 36 करोड़ से ज्यादा एलईडी बल्ब बांटे गए हैं. इस कारण हजारों करोड़ की बचत भी हुई और कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में भी कमी आई है. प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत भविष्य में 35 लाख कृषि सोलर पंप लगाए जाने हैं. इसे नई हरित क्रांति के रूप में देखा जाना चाहिए. इस योजना से हमारे किसानों को विभिन्न तरह के लाभ तो हो ही रहे हैं, इसके साथ हमारे अन्नदाता ऊर्जादाता भी बनें प्रधानमंत्री के इस संकल्प को भी साकार करने वाले हैं. गोबर-धन परियोजना के तहत बायोगैस और बायो स्लरी की बिक्री से उद्योग, उद्यमी, ग्रामीण परिवारों, किसान, स्वयं सहायता समूहों, गौशाला और ग्राम पचायतों को लाभ हुआ है.


पर्यावरण के प्रति लगातार चिंतनशील प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सिंगल यूज प्लास्टिक से बचने को लेकर अक्सर नागरिकों से अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाने को प्रोत्साहित करते हैं. इन प्रयोजनों को जन आन्दोलनों में रूपांतरित करने का श्रेय प्रधानमंत्री जी को जाता है. अंतिम बात जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कही है कि हमारा ग्रह एक है, लेकिन हमारे प्रयास अनेक होने चाहिए. एक पृथ्वी, कई प्रयास भारत बेहतर पर्यावरण और वैश्विक कल्याण के लिए होने वाले किसी भी प्रयास में सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहेगा.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार अनेकों योजनाओं के माध्यम से गरीबों के जीवन में नया उजाला लेकर आई है, वहीं पर्यवारण जैसे गंभीर विषय को भी उतनी ही संवेदनशीलता के साथ जनता के साथ जोड़कर जनांदोलन बना दिया है. विकास की यह समग्र दृष्टि ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को सबसे अलग बनाती है और उन्हें वैश्विक नेता की मान्यता भी प्रदान करती है.



(लेखक केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री हैं.)