इंडिया ब्लॉक की दिल्ली में 19 दिसंबर को हुई चौथी बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नी​तीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपनी पार्टी यानी जेडीयू (JDU) के सांसदों से मुलाकात की. नीतीश कुमार ने जेडीयू सांसदों से कहा कि आम चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) की घोषणा कभी भी हो सकती है. ऐसे में अपने अपने संसदीय क्षेत्रों पर फोकस करें और बिहार सरकार (Bihar Govt) की ओर से किए गए कामों के बारे में जनता को बताएं. इंडिया ब्लॉक की बैठक में संयोजक और प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Khadge) के नाम को आगे बढ़ाए जाने से ​मुख्यमंत्री नी​तीश कुमार नाराज बताए जा रहे हैं. इंडिया ब्लॉक से नाराजगी की खबरों के बीच ही नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के सांसदों से मुलाकात कर चुनावी तैयारी पर जोर देने के लिए कहा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक के बाद नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें आ रही हैं. हालांकि अभी तक नीतीश कुमार ने अपनी नाराजगी को लेकर चुप्पी नहीं तोड़ी है और इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है. बताया जा रहा है कि नाराज होने के बाद ही नीतीश कुमार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ बिना साझा प्रेस कांफ्रेंस के निकल गए थे. 


नीतीश कुमार की नाराजगी की अपनी वजहें हैं. दरअसल, बिहार की राजनीति में 20 साल स्वयंभू रहने के बाद नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में भाग्य आजमाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ा और राजद के साथ शर्त यह थी कि राष्ट्रीय राजनीति में नीतीश कुमार जाएंगे और तेजस्वी यादव की बिहार में ताजपोशी की जाएगी. 


इंडिया की चौथी बैठक से पहले नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार न सही, कम से कम संयोजक पद के लिए उनके नाम पर मुहर जरूर लग जाएगी. लेकिन जब ममता बनर्जी ने संयोजक पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे किया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह एक कदम आगे जाकर दलित पीएम के नाम पर म​ल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार प्रस्तावित करने की मांग की, उससे नीतीश कुमार की रही सही उम्मीद भी जाती रही. 


नीतीश कुमार के मन में एक टीस तो होगी ही कि जिस विपक्षी गठबंधन को उन्होंने बनाया, उसकी नींव रखी और उसके लिए कोलकाता से लेकर दिल्ली और मुंबई एक कर दिया, उस गठबंधन के संयोजक पद के लिए भी उनके नाम पर विचार नहीं किया गया. उल्टे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठे बैठे पूरी मलाई मार ली. नीतीश कुमार के सामने एक मजबूरी यह भी है कि वे दलित होने के चलते खड़गे का विरोध भी नहीं कर पाएंगे. अगर करते हैं तो उन पर दलित विरोधी होने का ठप्पा भी लग सकता है.