पटना : Bihar Politics, Nitish Kumar News: बिहार में मोकामा और गोपालगंज दो सीटों पर उपचुनाव होना है. इसके लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है. तमाम पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत इस चुनाव प्रचार में झोंक रखी है. आपको बता दें कि इनदोनों सीटों पर भाजपा का मुकाबला महागठबंधन के उम्मीदवार के साथ है. दोनों हीं सीटों पर राजद ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं और यहां जदयू को एक भी सीट नहीं दी गई है. ऐसे में जदयू की तरफ से भी राजद के उम्मीदवार को पूर्ण समर्थन का वादा किया गया है. 


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दरकने लगी महागठबंधन की जड़ें!
अब इस सब के बीच यह नजर आने लगा है कि बिहार में महागठबंधन के सभी दलों के बीच सभी कुछ सामान्य नहीं है. दरअसल इन दोनों सीटों में से एक सीट गोपालगंज पर तेजस्वी की मुश्किलें पहले ही बढ़ गई है. इस सीट पर तेजस्वी की मामी इंदिरा यादव बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में यह लगने लगा है कि यहां इसका फायदा भाजपा को मिलेगा. ऊपर से इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए कोई भी जदयू के बड़े नेता नहीं पहुंचे हैं. आपको बता दें कि यहां चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी के साथ मंच पर ललन सिंह नजर भी आए थे लेकिन वह तेजस्वी के भाषण से पहले ही वहां से निकल गए थे. 


महागठबंधन में सबकुछ ऑल इज वेल नहीं!
बिहार में नई सरकार के गठन को कुछ दिन ही बीते हैं लेकिन अब लगने लगा है कि महागठबंधन में सबकुछ ऑल इज वेल जैसी स्थिति में नहीं है क्योंकि इन दोनों सीटों पर होनेवाले उपचुनाव के प्रचार से पहले नीतीश कुमार ने अब जीतन राम मांझी ने दूरी बना ली है.  


जीतन राम मांझी ने भी बनाई चुनाव प्रचार से दूरी 
बिहार की इन दोनों सीटों पर होनेवाले उपचुनाव के लिए राजद की तरफ से मोकामा से नीलम सिंह उम्मीदवार हैं वहीं गोपालगंज से राजद ने अपने टिकट पर मोहन प्रसाद गुप्ता को उतारा है. लेकिन अब इन दोनों सीटों पर होनेवाले चुनाव प्रचार से हिंदुस्तान आवाम मोर्चा(हम) प्रमुख जीतन राम मांझी ने दूरी बना ली है. इसके लिए जीतन राम मांझी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है. 


नीतीश पहले ही बना चुके हैं चुनाव प्रचार से दूरी 
नीतीश कुमार पहले ही इन दोनों सीटों पर होनेवाले उपचुनाव के प्रचार से दूरी बना चुके हैं ऐसे में चर्चा आम है कि महागठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने आखिर नीतीश कुमार क्यों नहीं जा रहा हैं? क्या महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है? 


जदयू को सता रही है इस बात की चिंता!
बता दें कि इसके साथ ही मुजफ्फरपुर की कुंढ़नी सीट भी खाली हो चुकी है. ऐसे में अगर राजद इन तीनों सीटों को जीत लेती है तो वह बिना जदयू के समर्थन के भी सरकार बना सकती है. बस जदयू के अलावा उन्हें महागठबंधन के अन्य दलों का सहयोग जरूरी होगा. ऐसे में नीतीश कुमार बहुत सोच समझकर यह फैसला ले रहे हैं. बिहार में 243 सीटों वाली विधानसभा में अभी 240 विधायक हैं. इसमें राजद के पास 78, भाजपा के पास 77 तो जदयू के पास 45 विधायक कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक हैं. हम के 4, AIMIM के 1 और निर्दलीय 1 विधायक हैं. ऐसे में यहां तीनों सीट राजद जीत जाती है तो बिना जदयू के समर्थन के ही इनके पास 122 विधायक हो जाएंगे जो बहुमत के लिए काफी है. ये भी सही है कि जीतन राम मांझी ने भी चुनाव प्रचार से दूरी बना रखी है लेकिन वह कभी भी पलट सकते हैं. 


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