Bihar Caste Census Case: सुप्रीम कोर्ट 2 जनवरी, 2024 दिन मंगलवार को बिहार में जाति आधारित गणना (Caste Census Case) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गैर सरकारी संगठन (NGO) 'एक सोच एक प्रयास की' की याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया है. 


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दरअसल, बिहार के नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की तरफ से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि राज्य सरकार की ओर से जाति जनगणना (Caste Census Case) कराने के लिए जारी अधिसूचना संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है. संविधान के प्रावधानों के मुताबिक जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है.


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बिहार सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अक्टूबर में अपने विवादास्पद जाति-आधारित सर्वेक्षण के नतीजे सार्वजनिक किए थे. जनगणना (Bihar Caste Census Case) से पता चला कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) राज्य की आबादी का 63 प्रतिशत है.


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बिहार जाति जनगणना (Caste Census Case) से पता चला है कि 13 करोड़ की आबादी में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत से अधिक है, जबकि अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी 1.68 प्रतिशत है. उच्च जातियां या 'सवर्ण', राज्य की आबादी का 15.52 प्रतिशत हैं.


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सर्वेक्षण (Caste Census Case) को लेकर कानूनी बाधाओं और बीजेपी के विरोध का सामना करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि रिपोर्ट सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए राज्य सरकार की पहल में सहायता करेगी.


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