Bihar caste census report: बिहार सरकार ने तमाम मुश्किलों के बाद जातीय जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दी है. सरकार इसे बड़ी कामयाबी मान रही है. हालांकि, जातीगत जनगणना की रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा हुआ. यह रिपोर्ट अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ा सकती है. दरअसल, लालू यादव का कहना है कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. इस लिहाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी कैबिनेट की तस्वीर बदलनी पड़ेगी. क्योंकि, रिपोर्ट के हिसाब से अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है. जबकि पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 27 प्रतिशत है. 


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रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग के अंदर यादवों की आबादी 14 फीसदी बताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत से अधिक है तो 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 15.52 प्रतिशत सवर्ण हैं. जिनमें भूमिहारों की आबादी सिर्फ 2.86 प्रतिशत है. ब्राह्मण 3.66 प्रतिशत हैं तो वहीं राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी और कायस्थ 0.6011% हैं. मुस्लिम आबादी की बात की जाए तो बिहार में अब मुसलमानों की जनसंख्या 17.70 फीसदी हो चुकी है. 


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लालू यादव के बयान से साफ संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी तय की जाएगी. उन्होंने साफ कहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. राजद सुप्रीमो ने तो यहां तक कहा है कि अगर 2024 में केंद्र में जब हमारी सरकार बनी, तो पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएंगे. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के आंकड़े होने पर ही जेपी का संपूर्ण क्रांति का सपना पूरा होगा. जबतक वंचित वर्गों के लोग मुख्यधारा में नहीं आएंगे तो किसका विकास होगा.


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लालू यादव का आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी वाला बयान नीतीश कुमार की मुसीबतों को बढ़ा सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी दे पाएंगे. दरअसल, नीतीश कैबिनेट में इस वक्त 29 मंत्री हैं. सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 31 हो जाती है. नीतीश कैबिनेट में इस वक्त पिछड़े और आति पिछड़े वर्ग से 17 मंत्री हैं. दलित और मुस्लिम समुदाय से 5-5. वहीं सवर्ण समुदाय से 4 मंत्री हैं. वहीं अगर आति पिछड़ा वर्ग की बात की जाए तो इस समुदाय से मात्र 5 नेता मंत्री है.