Bihar Education Department: बिहार के शिक्षा विभाग की ओर से इन दिनों तरह-तरह के नियम जारी किए जा रहे हैं. कभी शिक्षकों के लिए तो कभी बच्चों के लिए. अब शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूल के हेडमास्टर को मिड डे मील खाद्यान्न के खाली बोरे बेचने का नया टास्क दिया है. हालांकि, विभाग का ये फरमान सरकारी स्कूलों के हेडमास्टरों के लिए मुसीबत बन गया है. आदेश के अनुसार, सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत आने वाले अनाज के बोड़ा को खाली होने के बाद अब 10 रूपय में नही बल्कि 20 रुपए में बेचना है. बोरा के बिक्री से आने वाले राशि को सरकारी खजाने में जमा करना है. लेकिन स्कूल के हेड मास्टरों का कहना है कि सड़ा-गला और चूहों का काटा बोरा कौन खरीदेगा? 


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जब जी मीडिया संवाददाता मणितोष कुमार ने मुजफ्फरपुर जिला के सकरा प्रखंड के हरिपुर कृष्ण के नव उत्कर्मित माध्यमिक विद्यालय में मिड डे मील योजना के तहत आने वाले अनाज के बोरी का रियलिटी चेक किया, तो बोरा का हालत देख कर लगा कि सरकार के इस आदेश का पालन हेड मास्टर साहब को अपने पॉकेट से बोरा का कीमत चुकानी पड़ेगी. दरअसल, एक बार में 3 महीने का अनाज आता है. बोरा पहले से ही सड़ा-गला हुआ होता है. उसके बाद चूहा बचा-कुचा बोरा कुतर कर नस्ट कर देते हैं. ऐसे में उस बोरा का कोई खरीदार नहीं होता है. नव उत्कर्मित माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक नवल किशोर कुमार गुप्ता ने तो साफ साफ सब्दो में कहा कि बोरा तो नहीं बिक पाएगा, लेकिन सरकार का आदेश है तो पालन करना ही है. नौकरी बचने के लिए अपने जेब से बोरा की राशि सरकार के खजाने में जमा करेंगे.


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बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से 14 अगस्त को नया फरमान जारी किया है कि सरकारी स्कूलों के हेडमास्टर 20 रूपये प्रति बोरा के हिसाब से बोरा बेचेंगे और उस पैसे को सरकारी खाते में जमा करेंगे. इतना ही नहीं हेडमास्टर बोरा बेच रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी भी की जाएगी. पहले हेडमास्टर पैसे को जिला में भेजेंगे और फिर जिला स्तर पर सारे पैसे को सरकारी खजाने में जमा कराया जाएगा. राज्य सरकार ने पहले कहा था कि मिड डे मिल के खाली बोरे को 10 रूपये के हिसाब से बेचना है लेकिन अब सरकार को लग रहा है कि बोरे की कीमत बढ़ गई है. लिहाजा हेडमास्टर को 20 रूपये में एक बोरा बेचने का निर्देश दिया गया है.


रिपोर्ट - मणितोष कुमार