Bihar Politics: ठाकुर VS ब्राह्मण बवाल में उलझी बिहार की सियासत, होने लगी अलग राजपूत राज्य की मांग
`ठाकुर का कुंआ` वाली संसद में पढ़ी गई मनोज झा की कविता का बवाल आज भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार की सियासत में राजपूत VS ब्राह्मण की लड़ाई तेज हो गई है.
Bihar Politics: 'ठाकुर का कुंआ' वाली संसद में पढ़ी गई मनोज झा की कविता का बवाल आज भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार की सियासत में राजपूत VS ब्राह्मण की लड़ाई तेज हो गई है. एक तरफ मनोज झा के समर्थन में राजद सुप्रीमो लालू यादव उतर आए हैं तो दूसरी तरफ बिहार में राजपूत नेताओं की तरफ से लगातार मनोज झा को अपने निशाने पर लिया जा रहा है. इसमें सत्ताधारी गठबंधन दलों को राजपूत नेता भी हैं वहीं दूसरी तरफ मनोज झा भाजपा के निशाने पर तो हैं हीं.
अब इन सारे बवालों के बीच बिहार की राजधानी पटना में अलग राजपूत राज्य की मांग के साथ पोस्टर लगाए गए हैं. बता दें मनोज झा के बयान के बाद जिस तरह से उनके और आनंद मोहन के बीच यह विवाद गहराया है उसके बीच यह पोस्टर पटना की सड़कों पर नजर आ रही है. इस पोस्टर में बिहार का नक्शा भी दिख रहा है. इस बिहार के नक्शे में से कुछ जिलों को मिलाकर अलग राजपूत राज्य की मांग उठने लगी है. इसमें रोहतास, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, सहरसा, औरंगाबाद जैसे बिहार के जिले शामिल हैं.
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इस पोस्टर में इसके साथ ही कई राजपूत नेताओं की तस्वीर भी लगी है. साथ ही देश में इनके योगदान को भी इसमें दिखाया गया है. जिसमें वीपी सिंह, चंद्रशेखर, अर्जुन सिंह जैसे नेताओं की तस्वीरें शामिल हैं. इस पोस्टर में एक कोने पर मनोज झा की भी तस्वीर है जिसमें उनका विरोध किया जा रहा है. राजपूताना राज्य संघर्ष समिति के नेता सिद्धार्थ क्षत्रिय की तरफ से इस पोस्टर को लगाया गया है.
मतलब साफ है कि बिहार की राजनीति में मनोज झा की संसद में पढ़ी गई कविता आग का काम कर गई है अब तो बवाल इतना बढ़ गया है कि राज्य को तोड़ने की भी बात की जाने लगी है. इस पोस्टर के जरिए सिद्धार्थ क्षत्रिय ने ठाकुर समाज के लिए सामाजिक न्याय की मांग की है. इसमें साफ लिखा हुआ है कि राजपूत नेताओं ने कैसे समाज के कमजोर वर्गों को आगे लाने के लिए काम किया.