पटनाः Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.सी.पी. सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रिश्ता किसी से भी छिपा नहीं है. कैसे दोनों साथ आए और फिर दोनों अलग हो गए. अक्सर दोनों एक दूसरे पर बयान बाजी करते नजर आते है. इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दौरे पर विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत पर आए हुए है. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.सी.पी. सिंह ने मंगलवार को मांग की कि वह अपने 'जनता दरबारों' पर एक 'श्वेत पत्र' लाए.


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जनता दरबार से होने वाले लाभों को जानने की जरूरत
आर पी सिंह ने कहा कि 'बिहार के लोगों को जनता दरबार के खर्च और नीतीश कुमार से होने वाले लाभों को जानने की जरूरत है. वह कई वर्षों से जनता दरबार का संचालन कर रहे हैं. उन्हें परिणामों के बारे में विवरण देना चाहिए. नीतीश कुमार को इस पर एक श्वेत पत्र भी लाना चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि 'बिहार के किसान सूखे जैसी स्थिति के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं और वह विपक्षी एकता के लिए दिल्ली का दौरा कर रहे हैं. हाल ही में केसीआर पटना आए थे.. बिहार में केवल स्टैंड-अप और सिट-डाउन हो रहा था.


जनता दरबारों में केवल 5 से 10 प्रतिशत समस्याओं का होता है समाधान
वहीं आर पी सिंह ने कहा कि जब प्रेस मीट में केसीआर से पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार विपक्षी दलों के पीएम उम्मीदवार हो सकते हैं. नीतीश कुमार कुर्सी से खड़े हो गए और केसीआर ने उनका हाथ थाम लिया. उनसे थोड़ा बैठने का अनुरोध किया. भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने दावा किया 'नीतीश कुमार के जनता दरबारों में केवल 5 से 10 प्रतिशत समस्याओं का समाधान होता है. जनता दरबार की वास्तविकता बिहार में लोगों को मूर्ख बनाना है. 2010 से लालफीताशाही का आतंक है.'


'वह सिर्फ एक आईएएस अधिकारी थे'
आरसीपी पर हमला करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि 'उन्हें राजनीति में किसने लाया. वह सिर्फ एक आईएएस अधिकारी थे. मैंने उन्हें अपना निजी सचिव बनाया, उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का अपना पद दिया, लेकिन वह भाजपा के हाथों में चले गए. आप (लोग) जानिए तब हमारी पार्टी की क्या स्थिति थी. उन्होंने मेरी पार्टी को कमजोर किया. वह जो कह रहे हैं उसका कोई मतलब नहीं है.'
(इनपुट-आईएएनएस)


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