तेजस्वी यादव और सम्राट चौधरी.... नीतीश कुमार की जगह कौन? जानें दोनों नेताओं की मजबूती और कमजोरी
राजद के युवा नेता बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कम समय में ही राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
Tejashwi VS Samrat : राजद के युवा नेता बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कम समय में ही राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी की राजनीति के स्टाइल को तेजस्वी ने भी अपने साथ किया और इतने छोटे राजनीतिक जीवन में वह दो बार बिहार के उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन हो चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ बिहार भाजपा की कमान अभी हाल ही में सम्राट चौधरी के हाथ सौंपी गई है. हालांकि सम्राट के पास राजनीति का अनुभव तेजस्वी यादव से ज्यादा है. वह राबड़ी देवी की सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री रहने का गौरव पा चुके हैं. इसके साथ ही बता दें कि वह राजद के रास्ते जदयू और फिर भाजपा में पहुंचे.
दोनों के साथ एक बड़ी जिम्मेदारी है एक तो 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की प्रदेश में कैसे जमीन मजबूत कराकर रखी जाए. ऐसे में बिहार में दोनों ही दलों की तरफ से पोस्टर वार जारी हो गया है. बिहार में एक तरफ भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है जो सीएम के तौर पर देखा जा सके. यही वजह है कि बिहार में नीतीश के सहारे ही भाजपा अपनी नैया खेती रही है.
आपको बता दें कि सम्राट चौधरी की तुलना यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से होने लगी है ऐसे में बिहार में भाजपा सम्राट को अगले सीएम के तौर पर भी देख रही है. वहीं राजद की तरफ से तेजस्वी यादव को 2025 में सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने में लग गई है. ऐसे में भाजपा ने तेजस्वी के खिलाफ एक तेज-तर्रार नेता खड़ा कर दिया है.
आपको बता दें कि सम्राट चौधरी ने अपने सिर पर भगवा पगड़ी बांध रखी है. वह नीतीश कुमार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प ले चुके हैं. ऐसे में भाजपा ने उनके ऊपर अपना विश्वास दिखाया है और बिहार में पार्टी की कमान उनके हाथ सौंप दी है. सम्राट चौधरी के अंदर भाजपा को एक संभावना नजर आ रही है.
एक तरफ जहां तेजस्वी यादव के पास पिता लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक छत्रछाया है. हालांकि इस मामले में सम्राट चौधरी थोड़ा पीछे हैं उनके पिता शकुनी चौधरी राजद के कद्दावर नेता रहे हैं लेकिन सम्राट भाजपा के साथ हैं तो उनके पास जेपी नड्डा और अमित शाह का साथ है.
सम्राट चौधरी पर अभी कोई आरोप नहीं है जबकि तेजस्वी यादव अभी भी जमीन को बदले नौकरी और IRCTC घोटाला मामले में एजेंसी के निशाने पर हैं. दोनों की एक खासियत जरूर है कि दोनों अपने बयानों को लेकर मुखर रहे हैं. सम्राट कई मौकों पर नीतीश को भी करारा जवाब सदन में देते रहे हैं.
सम्राट और तेजस्वी दोनों संकल्प के पक्के हैं और दोनों ने जिस तरह से अपना राजनीतिक सफर अभी तक जारी रखा है ऐसे में यह समझा जा सकता है कि दोनों का कद पॉलिटिक्स में कितना बड़ा हो सकता है. हालांकि तेजस्वी यादव से सीधे तौर पर मिलना और बात करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सम्राट के साथ ऐसा नहीं है वह सीधे फोन उठाते और बात करते हैं.
तेजस्वी यादव वोट बैंक की ताकत अपने साथ रखते हैं. जबकि कुशवाहा वोट बैंक की ताकत सम्राट चौधरी के पास है. बिहार में यादव वोट बैंक के बाद कोयरी-कुर्मी वोट बैंक बड़ी है. बिहार में जहां मुस्लिम राजद के साथ है वहीं सवर्ण वोट बैंक भाजपा के साथ ऐसे में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग जिसके साथ जुड़ गया उसके पास सबकुछ होगा.